बाज पक्षी के बचपन की शुरूआत बहुत ही मुश्किल से होती है। बाज पक्षी को बचपन में ही ऐसी ट्रेनिंग (training) दी जाती है, जिससे वह अपने जीवन में बड़ी-बड़ी मुश्किलों से भी आसानी से सामना कर पाते हैं।
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यदि किसी परिंदे का बच्चा जन्म लेता है तो उसे कम से कम एक महीने तक अपने माँ बाप के ऊपर निर्भर रहता है। उस बच्चे के खाने पिने से लेकर जब तक चलना नहीं सीख जाता, तब तक वह अपने माता पिता की नजर में रहता है। लेकिन बाज पक्षियों में ऐसा नहीं होता है।
बाज पक्षी सबसे उल्टा चलते हैं। जब एक बाज मादा अपने बच्चे को जन्म देती है तो उस समय से ही उसके बच्चे की ट्रेनिंग (training) शुरू हो जाती है कि उसे अपने जीवन में कैसे संघर्ष (struggle) करना है। पैदा होने के कुछ ही दिन बाद बाज के बच्चे का प्रशिक्षण (training) शुरू हो जाता है।
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उसके प्रशिक्षण (training) के पहले पड़ाव में मादा बाज अपने बच्चे को चलना सिखाती है। जब बच्चा भूखा होता है तो उसकी मां खाना लाती है। जैसा कि सभी पक्षी करते हैं। लेकिन बाज सीधा अपने बच्चे को खाना नहीं देते। मादा बाज खाना लाकर अपने घोंसले से कुछ दूरी पर खड़ी रह जाती है और तब तक उसे खाना नहीं देती। जब तक वह खुद चलकर उसके पास नहीं आ जाता।
जब बाज के बच्चे को तेज भूख लगती है तो वह खाने के लिए अपनी मां के पास जाता है। धीरे-धीरे संघर्ष (struggle) करके मुश्किल से चलकर अपनी मां के पास जाता है। उस समय के दौरान उसे सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता। उस दौरान उसे बहुत सारी चोटे भी लगती है। उस बच्चे की माँ उसे खाना भी तब तक नहीं देती जब तक की वह खुद चलकर उसके पास न आ जाये। उसकी माँ ऐसा सिर्फ इसलिए करती है ताकि वह बच्चा चलना सिख जाये।
जब वह चलना सीख जाता है तो दूसरा पड़ाव आता है। यह पड़ाव उसके लिए बहुत ही मुश्किल होता है। इसमें मादा बाज अपने बच्चे को अपने पंजों में पकड़कर उसे खुले आसमान में ले उड़ती है। अपने बच्चे को पंजों में दबाकर वह जमीन से काफी ऊपर तक ले जाती है और वहां से उसे छोड़ देती है।
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तब वह बच्चा नीचे गिरने लगता है और वह उसे देखती है। जब उसका बच्चा जमीन के नजदीक पहुंचने लगता है तो बच्चे को डर लगने लगता है कि वह अब मर जायेगा और अपने पंख फड़फड़ाने लगता है। उड़ने की पूरी कोशिश करता है। यदि फिर भी वह उड़ नहीं पाता तो मादा बाज उसे झट से हवा में ही पंजों में कैद कर लेती है साथ ही उसे जमीन पर गिरा देती है।
ऐसा उसकी मां तब तक करती हैं जब तक वह पूरी तरह से उड़ना नहीं सीख जाता है । इस प्रकार से एक बाज के बचपन की शुरूआत होती है और उसे इस कठिन प्रशिक्षण (hard training) को करना पड़ता है। इस कठिन प्रशिक्षण (hard training) से वह अपने जीवन में बहुत कुछ सीखता है।
इसके कारण ही वह अपने से दुगुना वजन के जानवर का शिकार भी आसानी से कर सकता है और उसे आसमान में ले उड़ता हैं। इस प्रशिक्षण (training) से वह मजबूत (strong) और शक्तिशाली (powerful) हो जाता है।
हमें बाज के इस प्रशिक्षण (training) से जीवन में बड़ी सीख मिलती है। हर व्यक्ति, जानवर या पक्षी अपने बच्चों से बहुत प्यार करता है। इसका मतलब ये नहीं कि वह उसे अपने पर ही निर्भर रहने दें। उसे जिन्दगी में मुश्किलों का सामना करना भी सिखाएं, जिसके कारण वह अपनी प्रतिभा दिखा सके और अपने एक बेहतर व्यक्तित्व कायम कर सके।
दोस्तों इससे हमें यही सिख मिलती है कि हम अपने बच्चों को सिखाये (trained) की जिंदगी का दूसरा नाम संघर्ष (struggle) है। उसे बताना जरुरी है की यदि तुम जीवन में कुछ हासिल करना है तो सबसे पहले संघर्ष (struggle) करना ही पड़ेगा।
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