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योग आसन । Yoga asanas in Hindi


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योग आसन  Yoga asanas in Hindi 

योग
क्या है | what is Yoga
योग सिर्फ एक शारीरिक अभ्यास ही नहीं है बल्कि यह गूढ़ता पूर्ण भावनात्मक एकीकरण एवं आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग है। योग एक पूर्ण विज्ञान है। यह शरीर, मन आत्मा और ब्रह्माण्ड को एकजुट करती है। यह हर व्यक्ति को शांति और आनंद प्रदान करती है। योग व्यक्ति के व्यवहार, विचार और रवैये में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन लाता है। योग के दैनिक अभ्यास करने मात्र से ही हमारी अन्तःशांति, ज्ञान और जागरूकता बढ़ती है। 
 योग सभी के लिए | Yoga for all
योग की एक खूबी यह भी है कि बुढे या युवा, स्वस्थ या कमजोर सभी के लिए योग का शारीरिक अभ्यास लाभप्रद है और यह सभी को उन्नति की ओर ले जाता है। उम्र के साथ साथ आपकी आसन की समझ ओर अधिक परिष्कृत होती जाती है। योग हमारे लिए कभी भी अनजाना नहीं रहा है। हम यह तब से कर रहे हैं जब हम एक बच्चे थे। चाहे यह "बिल्ली खिंचाव" आसन हो जो रीढ़ को मजबूत करता है या पवन-मुक्त आसन जो पाचन को बढ़ाता है, हम हमेशा शिशुओं को पूरे दिन योग के कुछ न कुछ रूप करते पाएंगे । बहुत से लोगों के लिए योग के बहुत से मायने हो सकते हैं। वस्तुतः "योग के जरिये आपके जीवन की दिशा" तय करने में मदद करने के लिए दृढ़ संकल्प है! 
 योगासन क्या है?
योग आसन हमें जीवन में समता बनाये रखने में सक्षम बनाते है। योगासन मात्र कसरत या अभ्यास नहीं है।  जैसा की पतंजलि के योग सूत्र में वर्णित है की "स्थिरम सुखम आसनम" का अर्थ है की योगासन प्रयास और विश्राम का संतुलन है।  मतलब हम आसन में आने के लिए प्रयास करते है और फिर वही हम विश्राम करते है। यह हमें प्रयास करने के लिए सिखाता है और फिर समर्पण , परिणाम से मुक्त होने का ज्ञान देता है। योगासन हमारे शरीर के लचीलापन को बढ़ाता है, और हमारे विचारों को भी विकसित करता है। योगासन को जल्दबाज़ी में नहीं बल्कि सांसों के लय  एवं सजगता  किया जाना चाहिए योगासन के मुद्रा से दूसरे मुद्रा में जाना एक नृत्य की तरह ही सुंदर होता है। 

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पद्मासन 
पद्मासन या कमल आसन बैठकर की जाने वाली योग मुद्रा है। जिसमे घुटने विपरीत दिशा में रहते हैं। इस मुद्रा को करने से मन शांत व् ध्यान गहरा होता हैं। कई शारीरिक विकारों से आराम भी मिलता है। इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से साधक कमल की तरह पूर्ण रूप से खिल उठता है, इसलिए इस मुद्रा या आसन का नाम पद्मासन या कमल आसन है। पाचन क्रिया में सहायता करता है मांसपेशियों के तनाव को कम करता है व् रक्तचाप को नियंत्रित करता है। मन को शांति प्रदान करता है । गर्भवती महिलाओं के प्रसव में सहायता करता है। मासिक चक्र की परेशानी को कम करता है।
                                         
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नटराज-आसन इस आसन में फेफड़ों की कार्य क्षमता में वृद्धि होती है, इस योग से कंधेबाज़ू और पैर भी मज़बूत होते है।जिनको लगातार बैठकर काम करना होता है, उनके लिए नटराज आसन बहुत ही फायदेमंद होता है।

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भुजंगासन इस आसन का रोज अभ्यास करने से कमर की परेशानिया दूर होती है, ये आसन पीठ और मेरुदंड के लिएलाभकारी होता है पेट के स्नायुओं को मज़बूत बनाना अस्थमा तथा अन्य श्वास प्रश्वास संबंधी रोगों के लिए अति लाभदायक है। 

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हलासन-इस आसन को रोज़ अभ्यास करने से रीढ़ की हड्डिया लचीली रहती है. वृद्धावस्था में हड्डियों लिए कई  प्रकार की परेशानिया हो जाती है यह आसन पेट के रोगथायराइडदमाकफ एवं रक्त सम्बन्धी रोगों के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। महिलाओं को रजो निवृति में सहायता मिलती है।

  

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सेतुबंध 
इस आसन से पेट की मांसपेसियों और जांघो के लिए बहुत फायदेमंद होता है, जब आप इस आसन को करते है तब शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। यदि आपको कमर व गर्दन से संबधित कुछ तकलीफ है तो यह आसन न करें। फेफड़ों को खोलता है और थाइरोइड से सम्बंधित रोग ठीक करता है। पाचन क्रिया ठीक करने में सहायता करता है,  मासिक धर्म व रजोनिवृति के दौरान मदद करता है।

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कोड आसन 
इस आसन को बैठकर किया जाता है।  इस आसन में कमर, रीढ़ की हड्डियाँ , छाती और कूल्हे विशेष रूप से भाग लेते है।  इन अंगो में मौजूद तनाव को दूर करने के लिए इस योग को किया जाता है कब्ज़ में राहत मिलती है। कटिस्नायु शूल (साईटीका) के रोगियों को लाभ मिलता है।

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उस्टासन 

उस्टासन यानी ऊंट के समान मुद्रा।  इस आसन का अभ्यास करते समय शरीर ऊंट की तरह दीखता है। इसलिए इसे उष्टासन कहते है।  यह आसन शरीर के अगले भाग को लचीला और मज़बूत बनाता है। इस आसन से छाती फैलती  है जिससे फेफड़ो की कार्यक्षमता में बढ़ोत्तरी होती है। पाचन शक्ति बढ़ता है। मासिक धर्म की परेशानी से राहत देता है।  


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नौकासन 
इस आसन में नौका के समान आकार धारण किया जाता है। इसलिए इसे नौकासन कहा जाता है।यह आसन कमर  पेट कि मासपेशियों को मज़बूत बनाता है. हाथों  पैरों को मज़बूत बनाता है और सही आकार देताहै।  हर्निया के रोगियों के लिए लाभकारी।

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पवनमुक्त
पवनमुक्त का मतलब  पवन या हवा को मुक्त करना, इस आसन में पेट की वायु निकालने में मदद करता है. इसलिए इस  पवनमुक्तासन कहते है, इस आसन से पीठहाथपैर और पेट की मांसपेशियों  मजबूत बनाता है। पेट वायु को निकलता है और पाचन क्रिया में मदद करता है। 

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धनुरासन 

इस आसन का नाम उसे अपनी धनुषी आकार की वजह से मिला है। धनुरासन, पद्म साधना की श्रेणी में से एक आसन है। इसे सही तौर पर धनु-आसन के नाम से जाना जाता है. पीठ / रीढ़ की हड्डी और पेट के स्नायु को बल प्रदान करना। जननांग संतुलित रखना, छाती, गर्दन और कंधोँ की जकड़न दूर करना। गुर्दे के कार्य में सुव्यवस्था, मलावरोध तथा मासिक धर्म में सहजता।

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तितली आसन 

इस मुद्रा को बद्धकोणासन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें दोनों पावों के तलवों को जननांगों के पास हाथों की मदद से जोर से पकड़ कर, एक विशेष कोण में साथ रखा जाता है। मुद्रा के दौरान पैरों की गति, तितली के हिलते पंखों कि भाँती प्रतीत होने की वजह से इसे तितली आसन भी कहा जाता है।  जाँघो एवं घुटनो का अच्छा खिंचाव होने से कूल्हों में लचीलापन बढ़ता है।  मासिक धर्म के दौरान होने वाली असुविधा एवं रजोनिवृति के लक्षणों से आराम गर्भावस्था के दौरान लगातार करने से प्रसव में आसानी।

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उत्कटासन

उत्कटासन का शाब्दिक अर्थ है - तीव्र मुद्रा या शक्तिशाली मुद्रा, सुनने में आसान व् आरामदायक लगता है,लेकिन किसी काल्पनिक कुर्सी पर बैठना थोडा चुनोतिपूर्ण हो सकता है और बिल्कुल यही हम उत्कटासनमें करते हैं।रीढ़ की हड्डी,कूल्हों एवं छाती की मांसपेशियों का अच्छा व्यायाम हो जाता है।जांघोएड़ी,पैर व् घुटनो की मांसपेशियों को ताकत मिलती है।  

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अर्ध चंद्रासन
जैसा की  नाम से ही पता चल रहा है , इस आसन में शरीर को अर्ध चंद्र के आकर में घुमाया जाता है, इसको खड़े होकर भी किया जा सकता है। यह आसन पुरे शरीर के लिए लाभप्रद है।शरीर के ऊपरी हिस्से (धड़) में खिंचाव पैदा करता है। हाथों एवं कंधो की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।

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त्रिकोड आसन 

रोज़ त्रिकोड मुद्रा का अभ्यास करने से शरीर का तनाव दूर होता है और शरीर में लचीलापन आता है।यह आसन पैरोंघुटनोंएड़ियोंहाथों और वक्ष को मजबूत बनाता है, तनावचिंतापीठ के दर्द और सायटिका के कष्टों को दूर करता है, यह आसन नितम्बोंकूल्होंजंघा की मांसपेशियोंकन्धोंवक्ष तथा रीढ़ की हड्डी में और ज्यादा खुलाव  खिंचाव उत्पन्न करता है। 

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वृक्षासन 
वृक्षासन का मतलब  वृक्ष की मुद्रा में आसन करना।  इस आसन को खड़े होकर किया जाता है।  इसके अभ्यास से तनाव दूर होता है और पैरो एवं टखनों में लचीलापन लाता है। यह मस्तिष्क में स्थिरता और संतुलन लाता है। एकाग्रता बढ़ाने में सहायक है।

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शवासन 
इस आसन को मरे हुए शरीर जैसे निष्क्रिय होकर किया जाता हैइसलिए इसे शवासन कहा जाता है।थकान एवं मानसिक परेशानी की स्थिति में यह आसन शरीर और मन को नई ऊर्जा देता है।मानसिक तनाव दूर करने करने के लिए भी यहाँ आसन बहुत अच्छा होता है। 
    
सारांश -

ऊपर बताये गए सभी आसन आपके सेहत के लिए बहुत लाभदायक है।  कोई भी योगासन हो उसे अच्छी तरह से और पूर्ण रूप से नियमानुसार ही करना चाहिए।  योगासन में सांसो पर सामंजस्य बैठाना जरुरी होता है।  किसी भी आसन को जबरजस्ती न किया जाये।  जो आसन शुरू में जितना होता है उतना ही करे।  धीरे धीरे अभ्यास से ही आप किसी आसन को पूर्ण रूप से करने लगेंगे।  साथ में में यह भी ध्यान रखे ये सभी आसन खाली पेट ही करना चाहिए।  अगर कोई ज्यादा बीमार हो या कोई ऑपरेशन हुआ हो तो योगासन  डॉक्टर के सलाह पर  करे।  गर्भवती  भी डॉक्टर के सलाह पर करे।

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