जीवन में जब तक कोई लक्ष्य (goal) न हो तो जिंदगी जीने का कोई मतलब नहीं होता है। लेकिन लक्ष्य (goal) भी काम का होना चाहिए , बिना काम या अर्थहीन या फिर निरर्थक लक्ष्य रखने का कोई मतलब नहीं। ऐसे लक्ष्य (goal) आपको जीवन में कभी सफलता (success) नहीं दिला सकते है।
सही दिशा में किया गया आपका छोटा कदम भी आपको सफलता के करीब ले जाता है लेकिन वही अगर आपका बड़ा स्टेप या कड़ी मेहनत भी सफलता (success) तक नहीं सकती है । इसलिए जीवन में सफलता (success) के लिए आपका हर एक कदम सार्थक लक्ष्य (goal) की प्राप्ति के लिए होना चाहिए न कि निरर्थक लक्ष्य के पीछे ।
एक छोटी सी कहानी से आप बहुत अच्छी तरह समझ जायेंगे कि वास्तव में निरर्थक लक्ष्य (goal) रखने का क्या मतलब होता है और आपका जीवन कैसे निरर्थक साबित हो सकता है।
किसान का कुत्ता
एक किसान का एक कुत्ता सड़क के किनारे बैठकर आने वाली गाड़ियों का इंतज़ार करता रहता था। जैसे ही कोई गाड़ी आती, वह भौंकता हुआ उसके पीछे दौड़ता । एक दिन उसके पड़ोसी ने उस किसान से पूछा, “क्या तुम्हें ऐसा लगता है कि तुम्हारा कुत्ता कभी किसी गाड़ी को पकड़ पाएगा?” उस किसान ने जवाब दिया, “सवाल यह नहीं है कि वह किसी गाड़ी को पकड़ पाएगा, बल्कि यह है कि अगर पकड़ पाएगा तो वह क्या करेगा?"
बहुत-से लोग उस कुत्ते की तरह निरर्थक (meaningless) लक्ष्यों के पीछे भागते रहते हैं। उनको लगता है कि वो बहुत मेहनत कर रहे है , वैसे देखा जाए तो करते भी है लेकिन सही दिशा की बजाय गलत दिशा में मेहनत किया जाता है । जिससे ऐसे लोग अपने जीवन में सदा ही असफल होकर रह जाते है । और अंत में हारकर किस्मत को दोष देने बैठ जाते है।
दो स्टूडेंट की पढाई
मान लीजिए एक विद्यार्थी प्रतिदिन 12 घंटे की पढ़ाई (study) करता है । वह विद्यार्थी वास्तव में इस दौरान बहुत ईमानदारी से पढ़ाई करता है। इस दौरान वह बिल्कुल भी समय का दुरुपयोग नहीं करता था। लेकिन उसे एक क्या तीन बार में भी सफलता (success) नहीं मिली । जबकि उसके दोस्त ने उसमे एक बार में ही सफलता (success) हासिल कर लिया जो कि मात्र 8 घंटे की ही पढ़ाई (study) करता था । ऐसा क्यों हुआ ?
जब दोनो लडको से पूछा गया तो मालूम हुआ कि जो लड़का सफल (success) हुआ वह अपने गोल को अच्छी तरह से समझ कर उसमे पूछे जाने वाले प्रश्नों के सिलेबस को ही सिर्फ पढ़ना (study) शुरू किया । और वह कम समय में सफल (success) हो गया ।
वहीं दूसरी तरफ जब उस असफल लड़के से पूछताछ की गई तो मालूम चला कि उसने अपने लक्ष्य (goal) के बारे में ढंग से सोच विचार ही नहीं किया। सिर्फ उसे बारह घंटे कि पढ़ाई (study) करनी है ये किसी ने बता दिया । वह लड़का अपने सिलेबस की पढ़ाई (study) कम करता और उसके अलग के विषयों की पढ़ाई (study) करता रहा ।
दोस्तों यहां इन दोनो लडको के उदाहरण देने का मतलब साफ है कि पढ़ाई (study) की दुनिया असीमित है । लेकिन नौकरी के लिए आपके द्वारा चुने हुए लक्ष्य (goal) का सिलेबस कुछ फिक्स होता है । आपको अपने लक्ष्य के अनुसार ही पढ़ाई (study) करनी चाहिए ।
सारांश
जरा सोचिए एक डॉक्टर बनने का लक्ष्य रखने वाला अगर गणित और भूगोल के पीछे ही ज्यादा पढ़ाई (study) करेगा तो भला वह कैसे डॉक्टर बनेगा । वैसे ही अगर इंजीनियर बनने का ख्वाब रखनेवाला इकोनॉमिक्स या हिंदी या बायोलॉजी की पढ़ाई (study) पर ध्यान देगा तो भला वह कैसे इंजीनियर बनेगा ।
आपको सफलता (success) पाने के लिए अपने लक्ष्य (goal) को बारीकी से उसकी महत्ता को देखते हुए चुनाव करना चाहिए। अपने चुने हुए लक्ष्य (goal) के अनुसार ही पढ़ाई पर फोकस करना चाहिए । जीवन में कभी भी निरर्थक लक्ष्य (goal) का चुनाव न करें और न ही ऐसे लक्ष्यों (goals) के पीछे भागे ।
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