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सेना के जवान को शहादत के बाद ही सम्मान क्यों? Respect soldiers all times.

सेना के जवान को शहादत के बाद ही सम्मान क्यों? 
Respect soldiers all time.

Sena Jawan ko Shahadat ke baad hi Samman kyon? Respect soldiers all time.

जब कोई जवान हमारी सरहदों या देश की सुरक्षा करते हुए अपनी जान की आहुति दे देता है तो उसके बाद देश की जनता के दिलों में वो देशभक्ति पैदा हो जाती है कि कुछ पूछिए ही मत। उस समय फेसबुक, वॉट्सएप, इंस्टाग्राम आदि सोशल मीडिया में सिर्फ और सिर्फ सेना के जवानों के बारे में ही लेख और सम्मान देखने को मिलता है। वहां की सरकार और स्थानीय कार्यालय या पुलिस भी बहुत दया भावना दिखाती है। लेकिन उसके कुछ दिनों बाद होता क्या है? सब कुछ सामान्य ,यदि कहीं कोई जवान या उसके परिवार के लोग किसी परेशानी में होते भी है, तो उसकी मदद करने वाले नहीं मिलते। बल्कि फौजी होने के नाते और हेय दृष्टि से ही देखते है। ऐसा क्यों? क्या सेना के जवानों को सम्मान सिर्फ उनके शहादत के बाद ही दिया जाना चाहिए? क्या उनके जीते जी उनको और उनके परिवार को समाज में उचित सम्मान नहीं दिया जाना चाहिए? आखिर ऐसा क्यों?

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दोस्तो मै भी एक सेना का अधिकारी हूं।  एक फ़ौजी को समाज में जितना इज्जत दिया जाना चाहिए, हमारे समाज के बहुत लोगो के द्वारा इज़्ज़त नहीं दिया जाता है बल्कि और हेय दृष्टि से ही देखा जाता है। इस संदर्भ में मैं अपने अनुभव और देश के कई सेना के जवानों की समस्याओं के आधार पर यह लेख लिख रहा हूं। आज आपके सामने कुछ बातें साझा करने जा रहा हूं, जिससे आप अंदाजा लगा सकते है कि वास्तव में हम, आप और ये समाज हमारे सेना के जवान को कितना सम्मान और इज्ज़त देते है?

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यात्रा  के दौरान- 

आप में से बहुतों ने देखा होगा कि हमारी सेना चाहे इंडियन आर्मी, आई.टी.बी.पी, सी.आर.पी.एफ, बी.एस.एफ, सी.आई.एस.एफ, एस.एस.बी आदि किसी भी बल के जवान हो, उन्हें ज्यादातर छुट्टी के लिए या ड्यूटी पर जाना हो तो अचानक ही आते और जाते है। सेना की कठिन ड्यूटीयो को देखते हुए ज्यादातर संभव नहीं हो पाता कि वह रिजर्वेशन करवा सके या कन्फर्म टिकट मिले।

इस अवस्था में वह बेचारा किसी के सीट पर यदि बैठ जाता है, तो उसे तुरंत बैठने के लिए मना कर दिया जाता है। वह जवान या तो टॉयलेट के पास बैठता है या फिर इधर उधर खड़े होकर पूरा रास्ता निकाल देता है। लेकिन जब वही जवान अपनी कन्फर्म टिकट पर यात्रा करता है, उस दौरान अन्य व्यक्ति चाहे वह पुरुष हो महिला बिना कन्फर्म टिकट वालो को अपने सीट पर बैठा कर ले आता है। लेकिन आम जनता उनके साथ ऐसा व्यवहार क्यों करते है? क्या यही सम्मान है हमारी सेना के जवानों का?

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अभी हाल ही में हवाई जहाज़ के कर्मचारियों के द्वारा एक सेना के जवान के साथ किये गए अपमान जनक कार्यवाही जो की सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में रहा। जिसमे एक सेना का जवान अपने ड्यूटी के लिए लद्दाख जा रहा था।  उस विमान के कर्मचारियों द्वारा सिर्फ 7 किग्रा ज्यादा वजन के लिए उस फौजी को पता नहीं कितना परेशान किया। और यही नहीं उस फौजी से 7 किग्रा ज्यादा वजन के लिए 2800 रूपये भी चार्ज किये। जबकि उस फौजी जवान के द्वारा विनम्रतापूर्वक कई बार आग्रह भी किये की उसमे ज़रुरी सामान है, जिसे साथ ले जाने की अनुमति दे, लेकिन  उस विमान कंपनी ने बिना चार्ज किये उस फौजी को ड्यूटी पर नहीं जाने दिया और वो भी जब चीन सीमा पर युद्ध के हालात पैदा हो रखे हो । क्या यही है सम्मान सेना के जवान का ? 

स्थानीय पुलिस का व्यवहार - 

फौजी जवान एक लंबे समय से तो ड्यूटी पर अपने परिवार से दूर तैनात रहता है और साल में दो या तीन बार ही छुट्टी पर जा पाता है। ऐसे में जवान के घर के लोगो या जमीन जायदाद को लेकर आए दिन कोई न कोई विवाद करता रहता है।

लोगो को पता होता है कि फौजी समय से तो आएगा नहीं और आएगा भी तो पुलिस उसकी सुनने वाली है नहीं, और होता भी वैसे ही है। फौजी अगर स्थानीय पुलिस को अपनी समस्या फोन पर या मिलकर बताता भी है तो उन्हें जहां से पैसा मिलता है, उसी की तरफ झुक जाते है। उनको पता होता है कि फौजी आदमी पैसे तो देगा नहीं। देगा भी कहां से वह अपने घर का खर्चा ही चला ले वही बहुत है। वैसे भी एक फौजी जवान घुस के खिलाफ ही रहता है। क्योंकि वह वास्तव में एक सच्चा देशभक्त होता है।

कभी कभी पुलिस तो ऐसे जवानों को अरेस्ट करके उन्हें प्रताड़ित भी करती है । क्या यही है सम्मान हमारी सेना के जवानों का?

सरकारी दफ्तरों के चक्कर -

एक सेना का जवान गिने चुने दिन ही छुट्टियों पर जाता है और उन्हीं समय के अंदर घर के और बाहर के लीगल काम करने पड़ते है। अगर कोई सरकारी कार्यालय से छोटा सा भी काम पड़ जाए तो वह एक बार में नहीं होता है। फौजी जवान बार बार दफ्तरों के चक्कर पे चक्कर काटता रहता है। और देखते देखते छुट्टी खत्म हो जाती है। फिर जब वह छः महीने बाद आता है तो सायद वही प्रक्रिया दुबारा शुरू करनी पड़ती है। क्या यही सम्मान है हमारे सरकारी दफ्तरों में सेना के जवान का?


अभी हाल का मामला ही ले लीजिए जिसमे जिला अमेठी (उत्तर प्रदेश) में एक सेना के जवान के द्वारा वीडियो शेयर किया गया था, की वहा की प्रशासन उसकी मदद नहीं कर रही है। एक जवान वीडियो में अपनी घरेलु समस्या के कारण किस तरह से रो पड़ा। मजबूरी में वह सेना का जवान अपनी बीबी और बच्चे के साथ वही ऑफिस के बाहर ज़मीन पर वर्दी में बैठा हुआ है। ऊपर दिए गए वीडियो में साफ देख सकते है।

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जनता के द्वारा सम्मान - 

एक फौजी आपके बीच से ही निकल कर जाता है। वह कोई विदेशी या आसमान से नहीं पैदा होता है। शुरू में भले ही पैसे के लिए भर्ती होता है लेकिन ट्रैनिंग के बाद उस जवान के अंदर वास्तविक देशभक्ति की भावना पैदा हो जाती है। अब वह देश के लिए मरने कि कस्मे खाकर तैयार है। वही जवान कहीं भी ड्यूटी पर जब तैनात होता है, तो आतंकवादी या दुश्मन का सबसे पहला निशाना वही होता है। सबसे पहले शहादत उस ड्यूटी में तैनात जवान ही होता है। ऐसे में उसके माँ बाप और बीबी बच्चो के ऊपर क्या गुजरता होगा । तो क्या ऐसे सक्सियत को जिंदा रहते हुए सम्मान देना हमारा फ़र्ज़ नहीं बनता है? क्या उन्हें मरने के बाद ही सम्मान दिया जाना चाहिए? लेकिन देश की जनता भी ऐसे फौजियों को जिंदा रहते हुए, उन्हें बेवकूफ, कम पढ़ा लिखा, नासमझ, अनाड़ी आदि समझती है।


इस वीडियो में एक ITBP का जवान वर्दी में किसी परेशानी में था और उसे ड्यूटी के लिए जाना था। वह वर्दी में रोड पर खड़ा होकर गाड़ियों को हाथ देकर रोकने की कोशिश करता है, लेकिन कोई भी गाडी वाला वर्दी देखकर भी नहीं रुकता है। क्या ये है सम्मान आपके द्वारा एक सेना के जवान के लिए ?


इस वीडियो में एक सेना के जवान के द्वारा सिर्फ गाड़ी को ओवर टेक के लिए रास्ता नहीं देने के बदले में एक महिला द्वारा किस तरह से वर्दी पहने हुए एक जवान को थप्पड़ मारती है। ये ऐसे लोग है जिनके लिए देश की सेना की कोई इज़्ज़त नहीं है। अगर कुछ ग़लती हो गई थी तो कम से कम थप्पड़ तो नहीं मारना था। वर्दी की तो इज़्ज़त रखती । क्या यही है हमारी सेना के जवानों को सम्मान है ?


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आखिर कौन है ये जवान ?

देश में बाढ़ आये, तूफान आये, भूकंप आये, कोई महामारी आये या यूँ कहे की देश की जनता के ऊपर किसी भी प्रकार का संकट आ जाए तो उनकी हिफाज़त के लिए सेना के जवान ही सुरक्षा में तैनात किये जाते है।  आज जब चीन भारत देश को आँख दिखा रहा है और उसने धोखे से हमारे कुछ जांबाज सैनिको को शहीद कर दिया तो आज देश के नागरिक जो अपने घरों में अपने परिवार के साथ है और कह रहे है की चीन से बदला लेंगे। यहाँ हम आप को बताते है की आखिर बदला कौन लेगा ? आज देश के वही जवान बदला लेंगे जो सीमा पर सब कुछ छोड़कर अपनी जान हथेली पर लेकर और आपकी सुरक्षा की जवाबदेही लिए बैठे है। आपको बताना चाहता हूँ की ये जवान कौन है -

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  • ये वही जवान है जो आपकी सुरक्षा करते है, जिनको अपने घर आने-जाने के लिए ट्रैन का रिजर्वेशन नहीं मिल पाता है तो आप उसे अपने सीट की साइड में भी नहीं बैठने देते है। 

  • ये वही जवान है जो आपकी सुरक्षा करते है, जिनकी ज़मीन हम आप कब्ज़ा कर लेते है और स्थानीय पुलिस मदद करती है। 

  • ये वही जवान है जो आपकी सुरक्षा करते है,  जिनको स्थानीय प्रशासन अपने ऑफिस के चक्कर लगवाते रहते है.

  • ये वही जवान है जो आपकी सुरक्षा करते है, जिनकी मदद स्थानीय पुलिस तक भी नहीं करती है. 

  • ये वही जवान है जो आपकी सुरक्षा करते है, जिनके ऊपर फिल्म बनती है तो उनके परिवार के ऊपर अनाब-सनाब आलंछन लगाकर दिखाते है.

  • ये वही जवान है जो आपकी सुरक्षा करते है, जिनके मरने के बाद कुछ लोग बोलते है की तनख्वाह ले रहा था, मर गया तो क्या हुआ.
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  • ये वही जवान है जो आपकी सुरक्षा करते है, जो चीन से मुक़ाबला लेने के लिए तैयार बैठा हुआ है.

  • ये वही जवान है जो आपकी सुरक्षा करते है, जिनके ज़िन्दा रहने पर तो हम पूछते नहीं लेकिन मरणोपरांत पूरा देश इकठ्ठा होकर अमर रहे अमर रहे के नारे लगाता है. 

  • ये वही जवान है जो देश की सुरक्षा और आपकी सुरक्षा करने के लिए दिन और रात को बराबर कर देता है.

  • ये वही जवान है जो देश की सुरक्षा और आपकी सुरक्षा करने के लिए, अपने परिवार की समस्या को पीछे छोड़कर आगे आता है .

  • ये वही जवान है जो सियाचिन, लेह, लद्दाख, अरुणाचल ,आदि जैसे खतरनाक इलाको में जहाँ माइनस 40 डिग्री तक के जमा देने वाली ठण्ड में जागता है, तो आप अपने घर में मखमली विस्तरों पर चैन की नींद  सो पाते है.

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राजनीति के बजाय सम्मान-

आये दिन आतंकवादी या नक्सल हमले में सेना के जवान शहीद  होते रहते है लेकिन कुछ अराजक तत्व जो अपनी गन्दी राजनीति  परहेज करते और उन शहीदों के ऊपर भी राजनीति करने लगते है।  क्या यही हमारे सेना के जवानों का सम्मान है ? ऐसे राजनीति के बजाय हमारे देश नेताओं को सेना के लिए और उनके परिवार की सुरक्षा के लिए उचित उपाय ढूंढने चाहिए और अपने इलाके में सेना के जवानों  उत्थान के लिए विशेष कदम उठाने चाहिए।

सरकार के द्वारा उठाये गए कदम का पालन हो -

हमारी देश की सरकार ने ऐसा नहीं की इस क्षेत्र में कदम नहीं उठाया है।  बल्कि सरकार ने तो ढेर सारे संगठन और दिशा निर्देश भी दिए है लेकिन उसकी अनुपालना सिर्फ न के बराबर ही किया जाता है। यदि सख़्ती से स्थानीय अधिकारी , नेता , पुलिस आदि सरकारी आदेशों का पालन करें तो निश्चित है की एक सेना के जवान को घरेलू परेशानियों , मानसिक परेशानियों आदि से बचाया जा सकता है।

यदि सभी स्थानीय नेता, अधिकारी, कर्मचारी, पुलिस और पंचायत के लोग सेना के जवानों के लिए सरकार द्वारा जो निर्देश पारी किये जाते है उसका पालन करें तो भी एक जवान और उनके परिवार को कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।  कम से कम सम्मान के रूप में उन्हें स्थानीय कर्मचारियों और अधिकारियो द्वारा ऑफिस में वरीयता देनी चाहिए। पुलिस को भी जवानों  व उनके परिवार के लिए विशेष ध्यान देना चाहिए। इनकी समस्याओं को वरीयता के आधार पर सुना और एक्शन लिया जाना चाहिए। उनके बच्चों के शिक्षा के लिए भी स्थानीय स्कूलों में एडमिशन के लिए वरीयता दिया जाना चाहिए। इतना मात्र करने से ही एक जवान और उसके परिवार का मनोबल बढ़ता है। उन्हें गर्व महसूस होता है। लेकिन होता क्या है इसके एकदम विपरीत। 

कभी ना करे ये काम सेना के जवान - 

हमारी सेना के जवानों से भी अपील है की जो आये दिन यात्रा के दौरान महिला से छेड़छाड़ या नशे की हालत में यात्रा करते है, ऐसा बिलकुल भी न करें। वैसे भी ऐसे अनुशाशनहीनता वाले लोगो की संख्या न के बराबर ही है लेकिन फिर भी अगर कोई है, तो उसे सुधर जाना आवश्यक है। साथ ही जो साथी जवान है, उन्हें अपने साथी को ऐसा करने से रोके। जिससे सेना (Indian Army, ITBP, BSF, SSB, CRPF) के ऊपर कोई एक भी शब्द न कह सके। सेना (Indian Army, ITBP, BSF, SSB, CRPF) के जवान को इस संकल्प के साथ चलना चाहिए की हम सिर्फ और सिर्फ अपने देश और देश के लोगो की सुरक्षा के लिए है, ना की हमारी तरफ से किसी एक को भी परेशानी हो।

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अंत में दोस्तों आपसे सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि सेना (Indian Army, ITBP, BSF, SSB, CRPF) का जवान चाहे वह किसी भी फ़ोर्स का हो , उसकी जीवन शैली, ड्यूटी, रहन-सहन , ड्यूटी का स्थान आदि बहुत ही चैलेंजिंग और कठिनाई भरा होता है। इसके साथ ही वह घरेलू परेशानियों से भी घिरा रहता है। ऐसे में अगर हम सब मिलकर उन्हें थोड़ा सम्मान और इज़्ज़त दे देते है, किसी समस्या में उनकी मदद कर देते है, तो उसकी समस्या हल हो सकती है और साथ ही जवान का मनोबल भी बढ़ेगा। उसके जीते जी सम्मान और इज्जत देना चाहिए न की सिर्फ शहादत के बाद।


इस आर्टिकल में जानकारी व्यक्तिगत, सेना के जवानों से और इंटरनेट के माध्यम से जुटाई गई है। इस लेख का मकसद सिर्फ सेना के जवान का दर्द बताना है, न की किसी व्यक्ति विशेष के दिल को ठेस पहुँचाना है। और न ही किसी राजनेता या अधिकारी के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाना है। अगर आप सहमत है की सेना के जवानों को उचित सम्मान दिया जाना चाहिए और ये आर्टिकल पसंद आये तो शेयर ज़रूर करें।


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