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Happiness vs Success ! क्या खुश रहने के लिए सफलता ज़रुरी है ?

Happiness vs Success ! 

क्या खुश रहने के लिए सफलता ज़रुरी है?

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Happiness vs Success

एक इंसान के जीवन के लिए क्या जरूरी है ? खुशी या फिर सफलता (Happiness vs Success )! मैंने इस बारे में कई लोगो से जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया । इनमें सभी तबके के लोग शामिल है जैसे कि अमीर, गरीब, दुखी, खुश, सफल और असफल, जिनकी बातों और अनुभव से जो जानकारी मैंने प्राप्त की है उसके बारे में आपको अवगत कराने जा रहा हूं।

"इंसान सफल तब होता है, जब वह दुनिया को नहीं बल्कि खुद को बदलना शुरू कर देता है।"

किसी भी व्यक्ति के जीवन में सफलता और खुशी दोनों का ही बहुत महत्व है। दोनों (Happiness vs Success ) का अपने-अपने स्थान पर बहुत महत्व है। परन्तु इस लेख में आपको जो जानकारी मिलने जा रही है वो आपकी आंखे खोल देगी। आपको आश्चर्य कर देगी कि सफलता जरूरी है या जीवन में ख़ुशियाँ या फिर दोनों। आगे बढ़ने से पहले हम सफलता और खुशी (Happiness vs Success ) दोनों के बारे में जान लेते है, तभी अच्छे से समझ पाएंगे।

Happiness vs Success 

खुशी- ख़ुशी हमारे आतंरिक आनंद की स्थिति है, जो तब आता है जब हमारा मन शांत हो। जीवन में अपनी मनपसंद की चीज़े हमें मिलने पर जो आनंद की अनुभूति (Positive feelings) प्राप्त होता है उसे ख़ुशी (Happiness) कहते है। यह लम्बे समय या छोटे अंतराल का भी हो सकता है। साथ में यह भी कह सकते है की यदि आप अपने जीवन से संतुष्ट है और जो भी आपके पास है उसके लिए आपके अंदर positive emotion है तो भी वह ख़ुशी (Happiness ) कहलाएगा, इस प्रकार की ख़ुशी दीर्घकालीक होती है ।

“अपनी मर्ज़ी के कार्य करना आज़ादी है,और अपने कार्य को पसंद करने प्रसन्नता है, दोनों ही खुशियों का दरवाजा है।” 

सफलता- आमतौर पर सफलता को पैसा, नौकरी, नाम आदि से जोड़ा जाता है, कि जिसके पास ये सब है वह एक सफल व्यक्ति माना जाता है। लेकिन यहाँ इसे सफल कहना उचित नहीं होगा, क्योंकि हर व्यक्ति के अनुसार सफलता के मायने बदलते रहते है सफलता हर व्यक्ति की अभिलाषा है, लालसा है, इच्छा है। प्रत्येक व्यक्ति सफल माने जाने वाली शख्सियत के साथ क्रमबद्ध होना चाहता है। यह व्यक्ति की सोच, उसकी काबिलियत, उसके आत्मबल, उसकी संकल्पृशक्ति के साथ, संस्कारों पर भी निर्भर है।


"जो चाहा मिल जाना सफलता , और जो मिल गया उसे चाहना प्रसन्नता। "


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आपको कुछ व्यक्तियों के मनोभाव से परिचित कराना चाहूँगा, जिससे और आसान हो जायेगा समझने में की किसी व्यक्ति के जीवन में ख़ुशी कब और कैसे आती है ? तथा जीवन में खुशियों के लिए सफलता का कितना महत्त्व और जीवन में ख़ुशी के लिए उसका कितना योगदान है।

Happiness vs Success 

एक प्रसिद्ध महिला डॉक्टर से मिला जो की अपने जिले की बहुत प्रसिद्ध डॉक्टर थी। उनके पास बहुत सारा पैसा, बड़ा मकान, बड़ी गाड़ी और पेशे में नाम था। जब मैंने उनके जीवन में खुशियों के बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि- "मै जीवन में सफल तो हो गयी हूँ परन्तु बहुत खुश नहीं हूँ। "

Happiness vs Success


मैंने पूछा- "आखिर आपके पास सब कुछ तो है फिर भी आप खुश क्यों नहीं है।" तो उस डॉक्टर ने जवाब दिया कि- "वास्तव में मै एक आई.ए.एस. अधिकारी बनना चाहती थी, लेकिन मेरे पिताजी ने मुझे ये कहकर मना कर दिया की महिला होकर आई.ए.एस. ठीक नहीं होगा बल्कि तुम्हारे लिए डॉक्टर का पेशा ही ठीक होगा। इसलिए आज भी मेरे दिल में एक आई.ए.एस. का सपना सपना बनकर रह गया, जो मुझे हमेशा याद आता रहता है।  जिससे मै सफलता के बावजूद भी खुश नहीं रह पाती हूँ । "

Happiness vs Success


इसके बाद मै एक व्यापारी के पास गया जो की अपने व्यापार के बलबूते पर बहुत ख्याति प्राप्त कर लिया था। उसके पास भी बहुत पैसा और सब कुछ उपलब्ध था। उससे भी वही प्रश्न पूछने पर जवाब दिया कि- "मेरे पास सब कुछ है, मै अपने व्यवसाय में सफल भी हो गया हूँ , लेकिन हमेशा एक बात सताती रहती है कि कही कोई दूसरा व्यापारी मेरे से आगे ना निकल जाये। इसलिए ख़ुशी तो मेरे पास तक पहुंच ही नहीं पाती है।"

Happiness vs Success


इसके बाद मै अपने जान पहचान के एक अधिकारी से की गयी वार्तालाप भी बताता हूँ कि वह व्यक्ति कितना सफल और कितना खुश है। एक प्रथम श्रेणी के अधिकारी प्रवीण जी कहते है कि - "मैने अपने जीवन में जो बनने को सोचा था, बन भी गया और कुछ दिनों तक काफी खुश भी रहा , लेकिन वो ख़ुशियाँ क्षण मात्र की ही रही।  क्योंकि धीरे धीरे काम का दबाव, प्रोमोशन की इच्छा, समय के अभाव के कारण घरवालों को समय न दे पाना जिससे जीवन में ख़ुशियाँ बहुत दूर जा चुकी है।"

Happiness vs Success 


Happiness vs Success


फिर मै मिला एक विद्यार्थी से जो 12 वी कक्षा का विद्यार्थी था।  वह पढ़ने में काफी तेज़ था।  वह अपने क्लास का टॉपर स्टूडेंट था। जब उस विद्यार्थी से पूछा की आप कितने खुश हो, तो उसने जवाब दिया कि- "मेरा हर साल एक ही लक्ष्य रहता था, की मै इस बार भी अपने क्लास का टॉपर रहूँगा। मेहनत के बाद हर साल टॉप भी करता था, सफलता के बाद काफी ख़ुशी भी होती थी, परन्तु वह ख़ुशी कुछ पलों के लिए ही होती थी, क्योंकि फिर वही अगले साल के टॉपर होने के चक्कर में, कि कही दूसरा विद्यार्थी टॉपर न हो जाये के कारण ख़ुशियाँ दूर चली जाया करती थी। "

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अब बारी थी एक गरीब व्यक्ति की जो की एक गांव में रहता था। उसके पास थोड़ी सी ज़मीन थी। परिवार में उसके बूढ़े माँ-बाप, बीबी, दो बच्चे थे। वह 12 वी तक पढ़ा लिखा भी था। लेकिन गरीबी और माँ-बाप की अकेले संतान होने के कारण उसे बाहर पढ़ने नहीं भेज पाए। उसके पास जब मै मिलने गया, तो मैंने देखा कि उसके यहाँ गरीबी थी, परन्तु उसके चेहरे पर दुःख नज़र नहीं आया।

Happiness vs Success


जब मैंने उससे भी वही बात पूछी तो उसने जवाब दिया-"मैं अपने जीवन में गरीबी के कारण सफल तो नहीं हो पाया, लेकिन मै अपने पास उपलब्ध संसाधनो में संतुष्ट रहने लगा। किसी दूसरे का देखकर उसे पाने की इच्छा नहीं करता हूँ। दूसरों से तुलना नहीं करता हूँ। अपने जीवन में आने वाले हर पहलुओं को सकारात्मक रूप में स्वीकार करता हूँ।"

उस ग़रीब और खुशहाल व्यक्ति ने आगे कहा कि-"जीवन में समस्याएं और चुनौतियां तो आती और जाती रहती है, उनका सकारात्मक तरीके से ही समाधान करता हूँ। बिना मतलब के दिमाग में बहुत ज्यादा पाने के चक्कर में उलझने या तनाव नहीं पैदा करता हूँ। हम हमेशा वर्तमान में जीते है और भविष्य के लिए प्रेरित रहते है। लेकिन भविष्य के चक्कर में वर्तमान को नहीं गवांते है।"

आगे मैंने उस व्यक्ति से पूछा की "आप अपनी असफलता के कारण चिंतित नहीं होते है।"

जिस पर उस व्यक्ति ने जवाब दिया कि "जो बीत गया उसके बारे में क्या सोचना। जो मेरे बस में नहीं था उसे लेकर चिंतित होने से क्या फायदा, मुझे अपने वर्तमान को देखना है। मैं अपने वर्तमान को पूरी खुशहाली भरी जिंदगी जीने का प्रयास करता हूँ। इस तरह से मैं और मेरा पूरा परिवार ख़ुशी पूर्वक जीवन यापन करते है। "

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Happiness vs Success 

सारांश -

तो दोस्तों आपने ऊपर सभी के अनुभवों को पढ़ा, जिसका सारांश और मतलब निकल कर सामने आया की आपको जीवन में खुश रहने के लिए बाहरी दिखावटी चीज़ो या वस्तुओ की जरुरत नहीं होती है। किसी विशेष नौकरी या बहुत ज्यादा पैसे की जरुरत नहीं पड़ती है । ये सब तो मात्र कुछ क्षण के लिए खुशियाँ लेकर आती है लेकिन जो ख़ुशी आपके अंदर से आपके सन्तुस्टि या सकारात्मक सोच के कारण होती है, ऐसी ख़ुशी जीवन भर के लिए आपके साथ रहती है। इसलिए जीवन में वास्तविक ख़ुशी के लिए सफल होना कोई मायने नहीं रखता है। लेकिन हाँ अगर आप खुशियों के साथ सफलता को भी हासिल कर लेते है, तो फिर आपका जीवन परफेक्ट हो जाता है। अर्थात सोने पे सुहागा हो जाता है।

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2 Comments

  1. Absolutely drawn through the squash of life.

    Precise point.

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  2. A really nice information if you gave us in communication thank you so much sharing a motivational content.

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