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Inspirational story in hindi

प्रेरक कहानी 

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हमेशा जीत और हार आपकी सोच पर निर्भर करती है, मान लो तो हार होगी, ठान लो तो जीत होगी !”

दोस्तों आपके लिए ज्ञानवर्धक और रोचक कहानियो की श्रृंखला में दो और प्रेरक कहानी (Motivational Story) लेकर आया हु।  इन कहानियो के माध्यम से मै आपको अपने लक्ष्य को प्राप्त करने लिए प्रेरित करने की कोशिश करता हु। आपसे गुज़ारिश भी करता हु की आप इन कहानियो से कुछ न कुछ सिख लीजिए और प्रेरित होकर अपने कार्यो में सफल हो। चलिए एक एक करके कहानियो को शुरू करते है। 

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जिम्मेदारी निभाने का महत्त्व (Importance of Responsibility )

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बहुत पुरानी बात है कि किसी गाँव में एक साधु रहते थे।दुनिया की मोह माया से दूर होकर जंगल में अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे।सुबह शाम ईश्वर के गुण गाना और लोगों को अच्छे कर्मों का महत्व बताना यही उनका काम था।

एक दिन उनके मन में आया कि जीवन में एक बार माता वैष्णो देवी के दर्शन ज़रूर करने चाहिये। बस यही सोचकर साधु महाराज ने अगले दिन ही वैष्णो देवी जाने का विचार बना लिया।

एक पोटली में कुछ खाने का सामान और कपड़े बांधे और चल दिए माँ वैष्णो देवी के दर्शन करने। ऊँचे पर्वत पर विराजमान माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए काफी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है।

वो साधु भी धीरे-धीरे सर पे पोटली रखकर चढ़ाई चढ़ रहे थे। तभी उनकी नजर एक लड़की पर पड़ी, उस लड़की ने अपनी पीठ पर एक लड़के को बैठाया हुआ था। वो लड़का विकलांग था और वो लड़की उसे कमर पर बैठाकर चढ़ाई चढ़ रही थी।

साधु को ये सब देखकर उस लड़की पर बड़ी दया आयी और वो बोले – "बेटी थोड़ी देर रूककर बैठ जा तू थक गयी होगी तूने इतना बोझ उठा रखा है."

वो लड़की बोली – "बाबा जी बोझ तो आपने अपने सर पर उठा रखा है ये तो मेरा भाई है……"

चलते-चलते साधु के पाँव ठिठक गए…..

कितनी बड़ी बात कही थी उस लड़की ने,,,,कितना गूढ़ मतलब था. उस लड़की की बात का– बोझ तो आपने उठा रखा है ये तो मेरा भाई है…. उस मासूम सी लड़की के कितने जिम्मेदारी भरे शब्द थे। 

मन में दयालुता होगी तो हर पढ़ने वाले की आँखें छलक उठेंगी…..

उस दिन उन साधु को एक बात समझ में आ गयी कि अगर हर इंसान अपनी जिम्मेदारी निभाने लगे तो शायद दुनिया में दुःख नाम की कोई चीज़ ही ना बचे…..

अपनी जिम्मेदारी से बचिए मत, जिम्मेदार बनिये, पूरी तरह से अपनी जिम्मेदारी निभाइये। इसी तरह से हम  सभी को अपनी अपनी जिम्मेदारी निभाना चाहिए।  

अगर एक नेता अपनी जिम्मेदारी निभाये तो देश में कभी भ्रष्टाचार नहीं होगा।
अगर एक शिक्षक अपनी जिम्मेदारी निभाये तो कोई बालक पढाई में कमजोर नहीं होगा ।
अगर एक छात्र अपनी जिम्मेदारी निभाये तो कोई इंसान बेरोजगारी से भूखा नहीं मरेगा।
अगर एक बेटा अपनी जिम्मेदारी निभाये तो किसी माँ-बाप को असहाय नहीं होना पड़ेगा।
अगर एक पिता अपनी जिम्मेदारी निभाये तो कोई बालक गलत संगत में नहीं पड़ेगा।
अगर एक भाई अपनी जिम्मेदारी निभाये तो किसी बहन को समाज से डरना नहीं पड़ेगा।
अगर हर नागरिक अपनी जिम्मेदारी निभाये तो देश को जगतगुरु होने से कोई नही रोक सकेगा।

जिम्मेदारी निभाना इसलिए भी जरुरी है -

जिम्मेदारी लीजिये क्योंकि जिम्मेदार लोग ही अपने जीवन में सफल होते हैं.
जिम्मेदारी लीजिये क्योंकि जिम्मेदारी ही आपको चुनौतियों से लड़ना सिखाती है.
जिम्मेदारी लीजिये क्योंकि रिश्ते निभाने के लिए ये बहुत जरुरी है.
जिम्मेदारी लीजिये क्योंकि जिम्मेदार लोग मरने के बाद भी याद किये जाते हैं.

दोस्तों आप जो भी हैं, चाहे डॉक्टर हैं, छात्र हैं, शिक्षक हैं, व्यापारी है , नेता है , पिता या पुत्र जो भी है …अपने हर काम को जिम्मेदारी से कीजिये। अगर बोझ समझ कर किसो काम को करेंगे तो आप उस काम में कभी सफल नहीं हो पायेंगे। इसीलिए सफल होने के लिए आपका एक जिम्मेदार इंसान होना बेहद जरुरी है।


“आपने शुरू करने की हिम्मत है तो, आप में सफल होने के लिए भी हिम्मत है l”

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उड़ना है तो गिरना सीख लो(Safalta Ki kahani)

दोस्तों आज मैं आपको सफल होने के लिए एक बेहतरीन और कारगर मंत्र बताने जा रहा हु, जिसे अगर आपने अपनी जिंदगी में अपना लिया तो दुनिया की कोई ताकत आपको सफल होने से नहीं रोक सकती। यह मंत्र इस कहानी के माध्यम से आपके समक्ष प्रस्तुत करने जा रहा हु। 


एक दिन में नहीं होगा लगे रहोगे तो एक दिन ज़रुर होगा

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जब किसी चिड़िया का बच्चा अपने घोसले से बाहर पहली बार निकलता है तो उस बच्चे के पंखो में जान नहीं होती है। चिड़िया का बच्चा उड़ने की बहुत कोशिश करता है परन्तु उड़ने के बाद तुरंत ही गिर जाता है।  लेकिन वो बच्चा हिम्मत नहीं हारता है। वह बार बार कोशिश करता लेकिन फिर गिर जाता। चिड़िया के बच्चे का उड़ने और गिरने का क्रम लगातार चलता रहता है। ऐसा एक बार नहीं बल्कि हज़ारो बार होता है।लेकिन फिर भी वो बच्चा हिम्मत नहीं छोड़ता है। वह लगातार कोशिश में लगा रहता है। फिर वो समय आया जब वह चिड़िया का बच्चा उड़ने लगता है। बार बार प्रयास करने से उसके पंखो में मजबूती तो आयी, साथ ही उसके इरादों में भी मज़बूती आयी जिससे वो खुले आसमान में सैर करने के लिए निकल जाता है। शुरू में तो उसे बहुत तकलीफ से गुजरना पड़ा होगा और गिरने पर उसे चोट भी लगी होगी, लेकिन चूँकि उसे उड़ना था, उसने मन में ठान रखा था की मुझे उड़ना है तो उड़ना है। जिसकी वजह से वो चिड़िया का बच्चा अपने उड़ान सफल हुआ। 

मेरे दोस्तों ये कहानी हमें यही उपदेश देती है की हमें ऊपर उठना है तो गिरने के लिए भी अपने आपको तैयार रखना है। एक ही बार नहीं, हो सकता है आपको सफलता मिलने से पहले कई बार गिरना पड़े। कई लोग सफलता के पास पहुंच कर अंतिम सीढ़ी से वापस आ जाते। वही जो हिम्मत नहीं हारते अपने मुकाम पर पहुंच जाते है। इसलिए कुछ भी हो जाये संकल्प और हिम्मत कभी कम नहीं करना है। 

चलो चिड़िया को छोड़िये। आप जरा याद करो वो बचपन के दिन, जब बच्चा छोटा होता है तो वो चलने की कोशिश करता है। पहली बार चलता है तो गिरता है। आप भी गिरे होंगे। एक बार नहीं, कई बार, और कई बार तो बच्चों को चोट भी लग जाती है। किसी का दांत टूट जाता है, तो किसी के घुटने में चोट लग जाती है । कई बार तो सर से खून तक निकल आता है, पट्टी बांधनी पड़ती है। लेकिन वो बच्चा चलना नहीं छोड़ता। सर पे पट्टी बंधी है, चोट लगी है, दर्द भी हुआ है लेकिन माँ की नजर बचाते ही वो फिर से चलने की कोशिश करता है। उसे गिरने का डर नहीं है और ना ही किसी चोट का डर है। उसको चलना सीखना है और वो तब तक नहीं मानता जब तक चलने न लगे ।


“आपकी मेहनत आपको कभी निराश नहीं करेगी l”

सोचो उन छोटे बच्चो में कितनी हिम्मत होती है। उसके मन में एक लक्ष्य है– “चलना सीखना” और वो चलना सीख भी जाता है क्योंकि वो कभी गिरने से डरता ही नहीं है। लेकिन जब यही बच्चा बड़ा हो जाता है, उसके अदंर समझ आ जाती है। उसके मन में हम किसी काम को करने से फेल होने का डर पैदा कर देते  है।  जिससे वो बच्चा डरने लगता है। इंसान जब भी कोई नया काम करने की कोशिश करता है उसके मन में गिरने का डर हो जाता है।

मेरे दोस्त तुमसे ज्यादा साहसी तो वो बच्चा है, जो हजार बार गिरकर भी गिरने से नहीं डरता। सर से खून भी आ जाये तो भी नन्हें कदम फिर से चलने की कोशिश करते हैं। और एक तुम हो, थोड़े समझदार क्या हुए, तुम तो ना समझ हो गए। इंसान के बच्चे तो उस चिड़िया के बच्चे से कुछ सिख लो, जो हज़ारो बार गिरती है फिर भी ऊपर उड़ने के लिए लगातार हिम्मत करती है। ऐसे बहुत से उदहारण है जो कितनी असफलताओ के बाद ही सफल होते है। लेकिन वह तभी संभव है , जब आपके अंदर कुछ करने की चाहत और समस्याओ से लड़ने की हिम्मत। 

दुनिया में कोई भी इंसान इतनी आसानी से सफल नहीं होता, उसे ठोकरें खानी पड़ती हैं। अब ठोकरों से डरोगे, असफलता से डरोगे तो कभी सफल नहीं हो पाओगे। राह में चाहे जितनी समस्याएं आयें आप अपने लक्ष्य को मत छोड़ो। ये समस्याएं तो आपकी परीक्षा लेती हैं, आपके कदम को मजबूत बनाती हैं ताकि जिंदगी में फिर कभी ठोकर ना खानी पड़े।

दोस्तों आशा करता हु ये दोनों कहानिया पसंद आयी होंगी। यहाँ से आप कुछ न कुछ जरूर हासिल किये होंगे। 

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