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"सफलता" जीत हासिल करने के तरीके

"सफलता" जीत हासिल करने के तरीके

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Success Tips


"बड़ी सफलाताएँ हासिल करने वाले लोग व्यर्थ या विनाशकारी विचारों में उलझ कर अपना वक्त  नष्ट नहीं करते है बल्कि वे अपने हर काम को पूर्ण करने के लिए रचनात्मक (constructive) ढंग से सोचते हैं। क्योंकि उन्हें मालूम होता है कि उनके सोचने का तरीका ही उनकी क़ामयाबी को हासिल करने में मदद करेगा।"

 

"हमें अपना ध्यान उन चीज़ों पर लगाना चाहिए, जिन्हें हम चाहते हैं न कि उन चीज़ों पर जिन्हें हम नहीं चाहते।"

"सफलता इत्तिफ़ाक की देन नहीं बल्कि यह हमारे नज़रिए का नतीजा होती है। अपना नज़रिया हम ख़ुद ही चुनते हैं। इसलिए सफलता इत्तिफ़ाक से नहीं मिलती, बल्कि हम उसका चुनाव करते हैं।"

एक पुजारी कार से कहीं जा रहा था। रास्ते में उसने एक बहुत ही सुंदर खेत देखा। वह कार रोक कर बाहर आया और एक खेत के किनारे खड़ा होकर उसमें लहलहाती हुई फ़सल की तारीफ़ करने लगा। वही पर उस खेत का मालिक यानि किसान ट्रैक्टर चला रहा था। पुजारी को देख कर किसान उसके पास आया। तब पुजारी ने उससे कहा, “ईश्वर ने तुम्हें बहुत सुंदर खेत दिया है। तुम्हें उनका अहसानमंद होना चाहिए।” 

फिर उस किसान ने जवाब दिया, “हाँ, ईश्वर ने मुझे बहुत अच्छा खेत दिया है और इसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूँ, लेकिन आपको इसे उस समय देखना चाहिए था, जब सारा खेत ईश्वर ने अपने हाथों में रखा हुआ था।"

ज्यादातर नाक़ामयाब लोग कोई बड़ा लॉटरी पाने का इंतज़ार करते रहते हैं, लेकिन इस तरीके से उन्हें क़ामयाबी शायद ही कभी मिल पाती है। आम आदमी सुरक्षा तलाशता है, जबकि असाधारण लोग अवसर तलाशते हैं। कुछ लोग सिर्फ अपने कम्फर्ट जोन रहकर अपनी जिंदगी बिताना पसंद करते है जबकि कुछ लोग उस कम्फर्ट जोन से बहार निकलकर इतिहास रच जाते है। 

जरा सोचिये ऐसा क्यों होता है कि -

-कोई इंसान अपनी सफलताओं की कहानियाँ लगातार लिखता जाता है, जबकि दूसरे लोग तैयारी ही करते रह जाते हैं?

-कोई इंसान एक के बाद दूसरी रुकावटों को पार करता हुआ अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है, जबकि दूसरे लोग संघर्ष ही करते रह जाते हैं और कहीं नहीं पहुँच पाते?

अगर हम इन दोनों सवालों के जवाब हासिल कर लें, तो हमारी जिंदगी में सफलता का इंकलाब आ जाएगा। इससे पहले हम जानते है कि आखिर सफलता होती क्या चीज़ है ?

सफलता क्या है?  (WHAT IS SUCCESS)

अगर आप सचमुच सफल होना चाहते हैं, तो उन कामों को करने की आदत डालिए, जिन्हें असफल लोग नहीं करना चाहते। सफलता और असफलता के बारे में काफ़ी शोध (research) किया गया है। सफलता का राज़ सफल लोगों के जीवन के इतिहास को पढ़ कर जाना जा सकता है। सफल लोग चाहे जिस दौर में पैदा हुए हो और चाहे जिस क्षेत्र में सक्रिय रहे हों। उनमें कुछ ख़ासियतें समान रूप से पाई जाती रही हैं।

सफलता अपने निशान छोड़ जाती है। यदि हम सफल लोगों के गुणों को पहचान कर उन्हें अपना लें, तो हम भी सफल हो जाएंगे। इसी तरह असफल लोगों में भी कुछ समानताएँ होती हैं। यदि हम उनमें पाई जाने वाली कमियों को पहचान ले और इनपर ध्यान रखें, तो असफल नहीं होंगे।

सदा मुस्कराना और सबको प्यार करना

गुणी जनों का सम्मान पाना

बच्चों के दिल में रहना

सच्चे आलोचकों से स्वीकृति पाना

झूठे दोस्तों की दगाबाज़ी को सहना

खूबसूरती को सराहना

दूसरों में खूबियाँ तलाशना

किसी उम्मीद बिना

दूसरों के लिए खुद को अर्पित करना

उत्साह के साथ हँसना और खेलना

और मस्ती भरे तराने गाना,

इस बात का अहसास कि आपकी जिंदगी ने किसी एक व्यक्ति का जीवन आसान बनाया यही सच्ची सफलता है।

हम सफलता को कैसे परिभाषित करते हैं?

HOW DO WE DEFINE SUCCESS?

किसी आदमी को कौन-सी चीज़ क़ामयाब बनाती है? हमें सफलता का अहसास कैसे होता है? किसी के लिए सफलता का मतलब दौलत, दूसरे के लिए शोहरत, तीसरे के लिए सेहत, चौथे के लिए पारिवारिक खुशी, आत्मसंतुष्टि और मन की शांति हो सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि सफलता एक निजी अहसास (subjective feeling) है। अलग-अलग लोगों के लिए इसका अलग-अलग मतलब होता है। इस परिभाषा में सफलता की व्याख्या बहुत अच्छे ढंग से की गई है-

"मूल्यवान लक्ष्य की लगातार प्राप्ति का नाम ही सफलता है।"

इन परिभाषाओं को सावधानीपूर्वक देखें -

निरंतर" (progressive) का अर्थ यह है कि सफलता लक्ष्य नहीं, बल्कि एक सफ़र है। हम इस सफ़र में लक्ष्य पर कभी नहीं पहुँचते । एक लक्ष्य पर पहुँचने के बाद, हमारी सफ़र दूसरे लक्ष्य के लिए शुरू हो जाती है, और यह सिलसिला जारी रहता है।


अनुभूति” (realisation) का मतलब है अनुभव करना । हमें सफलता का अहसास बाहरी चीज़ों की वजह से नहीं होता है। हम इसे अपने भीतर महसूस करते हैं। यह बाहरी नहीं, बल्कि अंदरूनी चीज़ है। इसलिए कई बार कोई चीज बाहर से सफलता लग सकती है, पर वह हमें अंदर से बिल्कुल खोखली लगती है।

 

सार्थकता" (worthiness) का संबंध हमारी मूल्य प्रणाली से है। मूल्य रहित लक्ष्य सार्थक नहीं हो सकते। हम किस दिशा में बढ़ रहे हैं? सकारात्मक लक्ष्य की दिशा में, या नकारात्मक लक्ष्य की दिशा में? सार्थकता से हमारी सफ़र का स्तर, यानी उसकी गुणवत्ता (quality) तय होती है। इसी से हमारी सफ़र को एक अर्थ प्राप्त होता है।

 सफलता कोई रहस्य नहीं है। यह केवल कुछ बुनियादी उसूलों को लगातार अमल में लाने का नतीजा होती है। इसका उलटा भी उतना ही सही है - असफलता और कुछ नहीं, बल्कि कुछ ग़लतियों को लगातार दुहराने का नतीजा होती है। यह बात आपको काफ़ी सरल लगती होगी, लेकिन हक़ीक़त यही है कि ज्यादातर सच बड़े सरल होते हैं। मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि वे आसान होते हैं, लेकिन यह सच है कि वे सरल होते हैं।

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