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मन को समझो फिर मन को समझाओ | Life Motivation | Happy Life Tips

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मन को समझो फिर मन को समझाओ | Life Motivation | Happy Life Tips

दोस्तों हमारा मन वाकई में बच्चा है, जो बात-बात पर रूठ जाता है। लेकिन इसे मनाना और संभालना सब आपके ही हाथ में है, क्योंकि मन भी तो आपका ही है। मगर सवाल यह है कि आप अपने मन को समझते कितना हैं? क्या आपको ये पता है कि अनजाने में बहुत-सी बातें मन पर धीरे-धीरे अपना प्रभाव डालने लगती हैं। हमारा मन यूं ही नहीं उखड़ता है। बल्कि ये एक लंबी प्रक्रिया से गुजरता है, जिसके बाद इसका बिगड़ा स्वरूप आपके सामने आता है। ऐसे  में आपको खुद की जीवनशैली पर गौर करना  होगा, क्योंकि बहुत से कारण अप्रत्यक्ष तौर पर हमारे मूड को प्रभावित करते रहते हैं। असल में आपकी मनोदशा केवल किसी खास वजह से ही प्रभावित नहीं होती। अकसर हम कई ऐसी चीजों का सामना करते हैं, जो हमारे लिए सामान्य जीवनशैली है, लेकिन समय बीतते इन बातों का असर मूड पर विपरीत रूप से पड़ने लगता है। यानी हम बेवजह चिड़चिडे होने लगते हैं या गुस्सैल स्वभाव के बन जाते हैं।

मन की चंचलता हमें अलग ही दुनिया में ले जाती है। ये दुनिया कभी सकारात्मक (Positive) होती है, तो कभी नकारात्मक। इसका सीधा असर हमारे स्वभाव पर पड़ता है। तो फिर कैसे समझें अपने मूड के इस खेल को? हम अक्सर यही करते है कि आज काम नहीं बन पाया, आज मन उदास हो गया, आज मैं बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई, आज तो रोना आ रहा है।

कौन से कारण है जो आपके मूड को बिगाड़ते हैं

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मन को समझो फिर मन को समझाओ | Life Motivation | Happy Life Tips

जब नींद को करते है नजरअंदाज-एक बच्चे का उदाहरण ही ले लीजिए। जैसे उसकी नींद पूरी न होने पर वह रोता रहता है। जी हां मानव स्वभाव यही है। प्रकृति ने हमारे लिए एक बायोलॉजिकल क्लॉक तय की है। दोस्तों इसको तोड़ना यानी प्रकृति के नियम के विपरीत चलना। इसमें सेहत के लिए सबसे जरूरी नींद भी शामिल है, जो आज की भागदौड़ वाली जीवन शैली से ज्यादा प्रभावित है। और इसकी कीमत हमें कई तरह से चुकानी भी पड़ रही है। शोध भी मानते हैं कि नींद से समझौता करना आपके मूड को बिगाड़ सकता है। इसलिए विशेषज्ञ मानव शरीर को सात से आठ घंटे की लगातार नींद लेने की सलाह भी देते हैं और वह भी अच्छी नींद।

सोशल मीडिया का गहरा प्रभाव

सोशल मीडिया ने मानो हमारी आधी दुनिया में कब्जा कर लिया हो। लोग क्या करते हैं, कहां जाते हैं, किससे मिलते हैं...सबका अपडेट यहां एक अच्छे खासे वर्ग के लोगो को बहुत जरूरी सा लगने लगा है। सोशल मीडिया का एक पक्ष आपको हंसाता है और दुनिया से जोड़ता भी है। वहीं सिक्के का दूसरा पहलू ये है कि यहां सब कुछ बनावटी है। यहां रिश्ते कुछ ज्यादा खूबसूरत दिखते हैं, जबकि यथार्थ यह नहीं है। हर इंसान के जीवन में कई कमियां और समस्याएं होती हैं। लेकिन ईर्ष्या करना इंसान का स्वभाव है और दूसरों को इतना खुशहाल (happiness) जीवन जीता देख हम अकसर अपनी तुलना करने लगते हैं और मायूस होने लगते हैं। 

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मन को समझो फिर मन को समझाओ | Life Motivation | Happy Life Tips

सोशल मीडिया से अप्रत्यक्ष तौर पर मिलने वाली ये नकारात्मक ऊर्जा हमारे मूड को बिगाड़ने का काम करती है। साथ ही कई बार यहां ऐसी सच्ची घटनाएं भी देखने को मिलती हैं, जो हमें अंदर तक झकझोर देती हैं। इनका प्रभाव कई दिनों तक दिलो-दिमाग पर बना रहता है। कोरोना की दूसरी लहर में कुछ ऐसा ही माहौल बना रहा, जब चिकित्सकों तक ने सोशल मीडिया से दूर रहने की सलाह दे दी थी।

नकारात्मक लोगों का प्रभाव

खुश (happiness) रहने के लिए अपने जीवन से सबसे पहले नकारात्मक लोगों को बाहर करो। अगर हम लगातार ऐसे लोगों से घिरे रहें, जो या तो अकसर हमसे अपना दुखड़ा रोते रहते हैं, या निंदा करते हैं, खुद की हमसे या दूसरों से तुलना करते हैं, तो ऐसे लोग अपना नकारात्मक ऑरा बना लेते हैं और उनके संपर्क में लगातार बने रहना हमारे ऑरा को प्रभावित करता है। ऐसे लोग दरअसल आपको नकारात्मकता की ओर ले जाएंगे। इन लोगों में कई बार हमारे करीबी भी होते हैं, इसलिए दूरी बनाने का मतलब उनसे दूर जाना नहीं है। 

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आपको बस उनसे अपनी बात साझा करने में नियंत्रण लगाना होगा, उनके साथ केवल बाहरी तौर पर वक्त बिताया जा सकता है, लेकिन उनकी ऊर्जा को हमें अंदर से प्रभावित करने पर रोक लगानी होगी। यानी उनकी बातों और दशा का हम पर प्रभाव नहीं आने देना होगा। माना बहुतों के लिए ये करना कठिन होता है, लेकिन बचना असंभव नहीं है। इसके लिए आपको खुद से प्यार करना सीखना होगा। ध्यान और अध्यात्म के रास्ते पर चलना होगा। इन सबसे आपकी ऊर्जा इतनी ज्यादा बढ़ जाएगी कि भविष्य में आपका सकारात्मक (Positive) प्रभाव लोगों पर भी पड़ने लगेगा।

अव्यवस्थित वातावरण

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मन को समझो फिर मन को समझाओ | Life Motivation | Happy Life Tips

आपके आसपास की ऊर्जा भी आप पर गहरा और सीधा प्रभाव डालती है। अगर आपके आसपास गंदगी फैली है या सामान व्यवस्थित नहीं रहता है, नकारात्मक ऊर्जा से भरे दीवार पर लिखे संदेश लिखे हो या तस्वीरें हो, बेवजह की आवाजें जैसे बर्तनों की आवाज होना, लोहे पर चोट की आवाज आपकी सकारात्मक (Positive) ऊर्जा को धीरे-धीरे खत्म करने लगती है। इसके विपरीत हरियाली से भरपूर वातावरण, सुसज्जित घर, फूलों, कपूर, चंदन की भीनी खुशबू, घंटियों, चिड़िया, पानी की आवाज आदि आपके मन को खुशनुमा (happiness) बनाते हैं। साथ ही आपको सकारात्मक (Positive)  बनाने में भी मदद करता है।

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