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खुशहाल जीवन के रहस्य Part-4/ धन की कमी अशांति का कारण /Recipe for Happy Life/Secret of Happy Life

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कैसा भी परिवार हो, ज्वाइंट या सिंगल, आर्थिक अभाव की मार हर घर में भूचाल ला देती है। इससे लड़ना किसी भी पति-पत्नी का पहला धर्म है। ऐसा न होने पर तनाव का होना स्वाभाविक है। इससे बचने के लिए आपके बजट का बैलेंस करना, सेविंग करना तथा extra income के साधन की व्यवस्था करना बहुत जरूरी होता है। जो ऐसा कर लेते है उनकी जिंदगी शांति ही शांति होती है और जीवन भी खुशहाल में बीतता है लेकिन जो ऐसा नहीं कर पाते है तो फिर वहां उत्पन्न होती घर में अशांति।

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पति-पत्नी का प्यार भी धन की कमी होने से कम होने लगते हैं। विशेषकर तब, जब धन इतना अधिक कम होता है कि जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति होना भी संभव न हो सके। धन की कमी न केवल पति-पत्नी को अंदर-ही-अंदर तोड़ देता है, बल्कि कभी तो परिस्थिति इससे भी भयानक हो जाती है। आर्थिक अभावों के बारे में सोच-सोच कर दोनों अपनी-अपनी भाग्य का रोना रोते रहते हैं। ऐसे लोग कभी भगवान को, तो कभी अपने आपको कोसते हैं। धन की कमी प्रेम संबंधों को इस हद तक सुखा देती है कि वे यह भूल ही जाते हैं कि उनके जीवन में सुख भी होता है। ऐसे पति-पत्नी तनावों को ढोते-ढोते ही जीवन व्यतीत कर देते हैं।

आर्थिक अभावों के कारण पति-पत्नी के संबंध इतने अधिक प्रभावित होते हैं कि वे अपने मन की भावनाएं भी आपस में व्यक्त नहीं कर पाते है। पत्नी यह जानती है कि वह सज-संवर कर पति को रिझा सकती है। उसका आकर्षक रूप और सौंदर्य पति को उसके निकट ला सकता है। उसकी आधुनिक वेश-भूषा पति को भंवरे के समान उस पर मंडराने के लिए विवश कर सकती है। वह यह भी जानती है कि उसका पति देर रात तक बाहर क्यों रहना चाहता है। यदि वह सौंदर्य प्रसाधनों का उपयोग करे, मन मोहक परफ्यूम का उपयोग करे, तो वह पति के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकती है, उसे घर की ओर आकर्षित कर सकती है, लेकिन धन के अभाव के कारण वह चाहते हुए भी इस विषय में कुछ नहीं कर पाती है। 

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यहां तक कि पति को रिझाने के लिए अपने बेड रूम को भी अपनी भावनाओं के अनुसार डेकोरेट भी नहीं पाती है। अपने आपको मेकअप करने के अनेकों विचार और उनकी फीलिंग मन-की-मन में ही रह जाती हैं। 

ऐसा नहीं किं धन की कमी सिर्फ औरतों के लिए प्यार में रुकावट लेकर आती है। बल्कि कुछ ऐसी ही स्थिति पति की भी होती है। आटे-दाल के चक्कर में वह यह तो भूल ही जाता है कि पत्नी की भी कुछ इच्छाएं हैं। वह चाहकर भी पत्नी के लिए न तो नए-नए गिफ्ट ला पाता है और न ही उसका दिल जीत पाता है। पैसे की कमी के कारण पति न तो स्वयं पौष्टिक खुराक ले पाता है, न पत्नी के स्वास्थ्य और सुंदरता को बढ़ाने के लिए कुछ कर पाता है। यहां तक कि उसके लिए पत्नी के मेकअप के लिए भी कुछ कर पाना संभव नहीं होता है। इस प्रकार की हीन भावनाओं में रहते हुए पति-पत्नी की यौन इच्छाएं भी धीरे धीरे मर जाती हैं।

पैसे की कमी के कारण पति-पत्नी का जीवन स्तर भी प्रभावित होता है। उनके पास बच्चों को जीवन की अन्य सुविधाएं देने की क्षमता नहीं होती है और मनोरंजन के साधन भी नहीं होते है। टूर, पिकनिक, क्लब, खेल के साधन कुछ भी ठीक से नहीं जुटा पाते है ये लोग। ऐसे लोगो के बच्चे भी ज्यादातर कमजोर, बीमार होने लग जाते हैं। 

आर्थिक अभाव परिवार की खुशहाली पर तो मंडराते ही रहते हैं, पति-पत्नी के बीच तनावों को भी बढ़ाते हैं। पति अपने तनावों को कम करने के लिए नशे की ओर बढ़ता है, जो परिवार पर एक और अभिशाप बन जाता है। 

जहां तक आर्थिक स्थिति से सामाजिक प्रभावों का संबंध है, वे भी कम खतरनाक नहीं होते। आर्थिक कमी ही सामाजिक असंतोष को बढ़ाती है। लोगों के मन में प्रतिशोधी विचार और भावनाएं उमड़ती हैं। ये लोगों को आर्थिक और सामाजिक अपराधों के लिए उकसाती हैं।

इस प्रकार की सोच से पति-पत्नी में तनाव बढ़े हैं। अविश्वास बढ़ा है। दूरियां बढ़ी हैं। परस्पर समझ घटी है। अवैध संबंधों का ग्राफ भी बढ़ा है। पति-पत्नी के तनाव बच्चों में भी दिखाई देने लगे हैं। इनसब कारणों से पति-पत्नी में वह मधुरता, वह प्यार दिखाई नहीं देता, जिसके लिए वे तरसते हैं। 

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राजकपूर की फिल्म 'आवारा' इस समस्या का एक ऐसा उदाहरण है, जिसे न केवल मनोविज्ञानियों ने सराहा, बल्कि उसने लोगों के सामने एक उदाहरण भी प्रस्तुत किया।

मनोविज्ञानी मेलानी क्लाइव के अनुसार यदि माता-पिता बच्चे की देखभाल में कोताही बरतते हैं, तो बच्चे को अपने प्रति हो रही उपेक्षा का आभास होने लगता है और उसमें आक्रोश पैदा होने लगता है। 

संपन्न परिवारों के बिगडैल बच्चे इसी समस्या की देन हैं, इसलिए न केवल आर्थिक अभाव, बल्कि अत्यधिक संपन्नता भी पति-पत्नी के तनावों को बढ़ाने वाली हो जाती है। इसी बात को दिल्ली के वीरेन्द्रकुमार जैन ने इस प्रकार से व्यक्त किया है, 'भारत गरीबों का समृद्ध देश है। आर्थिक अभावों के कारण जहां 60 प्रतिशत पति-पत्नी तनावग्रस्त रहते हैं, उन्हें खाली पेट प्यार-मोहब्बत की बातें बेमानी लगती हैं।वास्तव में ऐसे पति-पत्नी प्यार के क्षणों में भी तनावग्रस्त रहते हैं। वे यह भी नहीं जानते कि प्यार के क्षणों को कैसे जिया जाए, जबकि संपन्न घरों के पति-पत्नी इसलिए भी तनाव में रहते हैं कि वे जानते हैं कि उनके पुत्र अथवा पुत्री उस समय घर में नहीं हैं। मनोवैज्ञानिक भी इस बात को स्वीकारते हैं कि प्यार के क्षणों में तनाव के कारण फूल नहीं कैक्टस ही पैदा होते हैं।

कुछ ठोस कदम इस प्रकार से उठाने से कंट्रोल किया जा सकता है -

पति-पत्नी में तनावों का एक कारण गरीबी है, इसलिए वे अपने आर्थिक अभावों को दूर करने के लिए कड़ी मेहनत करें और सीमित साधनों से जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करें। इस विषय में हमेशा एक ही आदर्श अपनाएं कि मेहनत का फल सबको देर-सबेर मिलता ही है। क्योंकि याद रहे कि अनुचित साधनों से अथवा शॉर्ट-कट से प्राप्त किया गया धन अथवा सफलताएं कभी भी मन को संतुष्टि प्रदान नहीं करतीं है। 

ज्यादा धन पाने के वरदान के पीछे कहीं-न-कहीं विपत्तियों का अभिशाप भी छिपा रहता है, इसलिए गरीबी के भी अपने रंग हैं, अतः इन रंगों को अभिशाप न मानें। गरीबी को यदि आप अभिशाप समझते हैं, तो इस अभिशाप से मुक्त होने की सोच पालें। भाग्यहीनता का रोना न रोएं। न ही हाथ-पर-हाथ रख कर बैठे। सकारात्मक सोच और खुश रहने सदैव प्रयास करें। जितना है उतने में ही खुश रहने की आदत डाले और विकास के लिए मेहनत करते है।

आर्थिक अभावों को कभी भी अपने ऊपर हावी न होने दें। सीमित साधनों से भी ज्यादा संतुष्टि पाई जा सकती है। अधिकांश धनी व्यक्ति सुख की नींद के लिए भी तरसते हैं। आपको बता दें कि अमेरिका जैसे संपन्न देश में नींद की गोलियों से नींद लेने वालों की संख्या आर्थिक संपन्नता की ही देन है। ईश्वर का उपकार माने कि आपको सुख की नींद के लिए गोली नहीं खानी पड़ती।

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अपनी आर्थिक कमी या अपने भाग्य-दोष का रोना सबके सामने न रोएं। इस प्रकार की सहानुभूति प्राप्त करने की सोच हमेशा घाटे का सौदा होता है, जिसमें आपको देना अधिक पड़ता है, मिलता बहुत कम है।

अपनी आर्थिक कमी के लिए आपस में पति या पत्नी अपने को दोषी न मानें और न ही विषम परिस्थितियों अथवा कठिनाई के दिनों में एक-दूसरे को अकेला छोड़ें। मिलकर चले और परेशानियों से एक साथ लड़ें।

लालच में आकर किसी प्रकार का असम्मानजनक समझौता न करें और न ही अपनी खुशियों को घर के बाहर तलाशें । सारी खुशियां आपके पास ही है। बस उसे पहचानने की कोशिश करें । हर समस्या का समाधान आपके पास ही है। बस उससे समझ कर पहचाने।

पत्नी की आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति अवश्य करें। उसके जेब खर्च की पूर्ति को परिवार की सर्वोच्च आवश्यकता समझें। वह अपने इस जेब-खर्च से परिवार में आए संकटों को भी सुलझाती रहती है, परिवार की प्रतिष्ठा बढ़ाती है। इससे पति पत्नी के बीच प्यार बढ़ेगा और तनाव कम होगा। 

और अंत में सबसे important बात यह है कि एक दूसरे को बहुत अच्छे से समझे, एक दूसरे के फीलिंग्स को समझे, छोटी छोटी बातों पर पैसे को अहमियत न दें। कोशिश करें अपने रिश्तों के बीच में पैसे को न आने दें। अपने खुशियों को अपने चरित्रवान होने का परिचय अपनी पत्नी को दें, क्योंकि वह अपने चरित्र को केवल इसीलिए संभाल कर रखती है। उसे आप पर विश्वास है, इस विश्वास को बनाए रखें, इससे आर्थिक अभावों को सहने की शक्ति दोनों में आ जाएगी।

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