Ticker

6/recent/ticker-posts

खुशहाल जीवन के रहस्य Part-2/ अत्यधिक व्यस्तता-एक अभिशाप/Secret of Happy Life Part-2

 खुशहाल जीवन के रहस्य Part-2/ अत्यधिक व्यस्तता-एक अभिशाप/Secret of Happy Life Part-2

secret-of-happy-life-busy-life-as-curse-happy-life-tips-the-motivational-diary-ram-maurya

“काम ! काम !! काम !!! अगर तुम्हारे पास मेरे लिए समय ही नहीं था, तो फिर तुमने मुझसे शादी ही क्यों की? ये बच्चे मैं अपने बाप के घर से तो लेकर नहीं आई? आखिर तुमने मुझे इस जिंदगी में तनावों के सिवाय और दिया ही क्या है? तुमने मुझे पत्नी समझा ही कब है?

मैं तो इस घर की कामवाली या नौकरानी हूं, नौकरानी...।" पति की व्यस्तताओं का यह रोना मध्यवर्गीय परिवारों की औरतों का एक ऐसा रोना है, जिसमें दोष किसी का नहीं होता, फिर भी इन तनावों के लिए पति-पत्नी एक-दूसरे को दोषी मानते हैं। व्यस्तता का यह व्यवहार ही पति-पत्नी संबंधों पर विष बेल की भांति छा रहा है। तनावों की ये काली घटाएं कब चमक जाएं, कब बरस जाएं कुछ कह नहीं सकते...।

इसे भी अवश्य पढ़ें- जिंदगी को जीने की कला | Art of Live a Happy Life.

पत्नी ने मन की पीड़ा को बड़ी सरल भाषा में व्यक्त करने के प्रयास किए गए, जब देखो काम ही काम । क्यों नहीं लेते पिया प्यार का नाम...।" यह फिल्मी "भले ही आपने कभी ध्यान से न सुना हो, लेकिन इस गीत में है। कुछ पति तो पत्नी की इन भावनाओं को शीघ्र ही सहज भाव में समझ जाते हैं और वे अपनी व्यस्तता भरी दिनचर्या में से कुछ क्षण पत्नी के लिए अवश्य निकाल लेते हैं, लेकिन ऐसे अनाड़ी पति भी बहुत हैं, जो न तो इन भावों को ही समझते हैं और न पत्नी के अन्य इशारों को। ऐसे पति-पत्नी में सुबह-सुबह ही महाभारत छिड़ जाता है और फिर मोहल्ले-पड़ोस के लोग पति-पत्नी की जली-कटी सुन-सुनकर मनोरंजन करते हैं। वास्तव में पति-पत्नी एक-दूसरे की व्यस्तताओं को किस प्रकार से पानी पी-पीकर कोसते हैं और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हैं, यह किसी एक घर की कहानी नहीं है, बल्कि उच्च मध्यवर्गीय परिवार में हर घर की कहानी है। पैसा कमाने की हवस ने पति की सोच को इतना अधिक प्रभावित किया है कि यदि उनका बस चले, तो वे रात को भी काम ही करते रहें, जबकि इस प्रकार की व्यस्तता पत्नी को फूटी आंख नहीं सुहाती। 

यही कारण है कि पति-पत्नी में आए दिन मनमुटाव होता रहता है और परस्पर अपेक्षाओं का रोना रोया जाता है। तनाव बढ़ते रहते हैं। वास्तव में यह पति-पत्नी के बीच की एक ऐसी समस्या है, जिससे पति-पत्नी में न केवल तनाव बढ़ रहे हैं, बल्कि अन्य प्रकार की मानसिक विकृतियों, जैसे परस्पर अविश्वास, वैमनस्य, क्रोध, कटुता, खीझ, कुंठा बढ़ने लगी है। जो अपनी चरम सीमा पर पहुंच कर मानसिक रोगों के रूप में प्रकट होने लगे हैं। दांपत्य जीवन।में सरसता को सुखाने वाले ये कैक्टस ही तनाव बन कर प्रकट होते हैं। अतः पति-पत्नी की इस व्यस्तता को सरल भाव से स्वीकारें। इस विषय में व्यावहारिक सोच अपनाएं। 

secret-of-happy-life-busy-life-as-curse-happy-life-tips-the-motivational-diary-ram-maurya

पत्नी यदि कामकाजी है, तो उसकी व्यस्तता का मूल्यांकन अपने स्तर पर करें। यह भी जानें कि पत्नी को कामकाजी होने के कारण परिवार में ही दोहरी भूमिका का निर्वाह करना पड़ता है। पति-पत्नी एक-दूसरे की व्यस्तता को यदि गुण के रूप में देखें, तो यह व्यस्तता ही आपको एक विशेषता के रूप में दिखाई देगी, जो उनमें तनाव नहीं सरसता प्रदान करेगी और उनके संबंधों में सरसता के ना स्रोत पैदा होने लगेंगे। पति-पत्नी एक-दूसरे की व्यस्तता को कोसने के स्थान पर घर के प्रति अपनी-अपनी जिम्मेदारी समझें। बच्चों में भी यह आदत डालें कि वे घर के कामों में एक-दूसरे का सहयोग करें, भले ही उन्हें घर के बाहर से अखबार लाने ही क्यों न पड़ें।

इसे भी अवश्य पढ़ें- गम को छोड़ मुस्कुराना सीखो / Gam Ko chhod Muskurana Sikho

आपका सामाजिक स्तर चाहे जो भी हो, आप चाहे व्यवसायी की पत्नी हों अथवा लेखक की, संपादक की हों अथवा व्यापारी की, प्रशासनिक की अथवा अधिकारी की पत्नी हों, आपके लिए यह गौरव की बात है कि आपके पति की सामाजिक स्थिति कुछ विशिष्ट है। भले ही आप किसान की पत्नी हों, इस बात का गर्व आपके मन में होना चाहिए कि आपका सहयोग आपके पति को समाज में विशिष्ट स्थिति दिला सकता है। बस, आप उसे उतना सहयोग अवश्य करें।

पति को भी प्रोत्साहित करें कि समाज में इस विशिष्ट स्थान को प्राप्त करने के लिए मौलिक चिंतन अपनाए। कुछ अतिरिक्त समय दें। अतः पति की इस प्रकार की व्यस्तता को दोष नहीं, एक गुण के रूप में स्वीकारें। इससे तनाव स्वयं कम होने लगेंगे।

यदि आपके पति का कोई नया काम है, बड़ा है, जिम्मेदारी वाला है, तो निश्चित रूप से उन्हें अपने काम में कुछ अतिरिक्त समय देना पड़ेगा और देना भी चाहिए। हो सकता है, उन्हें अपने संस्थान में प्रबंधन के अतिरिक्त कुछ और काम भी देखने पड़ते हों। वैसे भी आजकल कुछ लोग अपनी पोजीशन बनाने के लिए भी कुछ अतिरिक्त काम करना पसंद करते हैं। अभिप्राय यह है कि पति अथवा पत्नी की व्यस्तता को यदि पति अथवा पत्नी का सहयोग मिला है, तो व्यस्तता अभिशाप के बजाय वरदान बन जाती है। इसलिए एक-दूसरे की व्यस्तता को कोसने के स्थान पर सराहें। उसे सकारात्मक रूप में देखें। इस प्रकार की व्यस्तता को व्यंग्य के रूप में न देखें और न ही इस प्रकार की व्यस्तता पर ताने मारें।

secret-of-happy-life-busy-life-as-curse-happy-life-tips-the-motivational-diary-ram-maurya

"मिल गई फुरसत...अभी तो दस ही बजे हैं, इतनी जल्दी क्या थी घर आने की? खाना तो वहां मिल ही जाता...आंखें सेंकने को भी मिल ही जाती हैं। उनसे बातें करने से वक्त मिले, तब न घर की याद आए...फिर घर में है ही कौन? हम तो ठहरी बीवी...घर की मुर्गी दाल बराबर...हमारी क्या है ...?"

"हेलो, मैंने कहा पांच बजने वाले हैं...आपने अभी तक लंच नहीं लिया...लंच पर आ रहे हैं ना...नहीं तो रात को दोपहर और रात का खाना साथ-साथ खा लेना...वैसे आपको भूख तो लगती ही नहीं...हमारी मानो तो आप दफ्तर में ही बिस्तर डाल लें...बच्चों को भेज दें अनाथालय में...रही बात बीवी की, तो बीवी का क्या है...?"

वास्तव में इस प्रकार के ताने-उलाहने पति-पत्नी में तनाव बढ़ाने वाले होते हैं। जो अवसर पाकर असन्तोष रूपी विस्फोट के रूप में फूटते हैं। पति-पत्नी अगर दोनों ही ईंट का जवाब पत्थर से देने वाले हों, तो घर में महाभारत छिड़ने में समय न लगेगा। इसलिए एक-दूसरे की व्यस्तता का मजाक उड़ाने के स्थान पर एक-दूसरे की व्यस्तता को कम करने की सोच पालें। यदि आप पढ़ी-लिखी हैं, तो पति के कारोबार में सहयोगी बनें, उसके काम से संबंधित थोड़ा-बहुत पत्र-व्यवहार स्वयं करें। घर में आए मेहमानों का स्वागत स्वयं करें। बाहर के अन्य छोटे-मोटे कामों को स्वयं करें। टेलीफोन का बिल जमा करना, नल-बिजली के बिलों का भुगतान, बीमा पालिसी अथवा बैंक से संबंधित काम आप करें।

इससे जहां आप पति की व्यस्तता को कम करेंगी, वहीं आप अपने समय का भी सदुपयोग करेंगी। आपके कार्यों में भी विविधता आएगी और आप बोर भी नहीं होंगी।

secret-of-happy-life-busy-life-as-curse-happy-life-tips-the-motivational-diary-ram-maurya

समय-समय पर खाने की टेबल पर बैठ कर परिवार और कारोबार संबंधी अपनी समस्याओं पर आपस में चर्चा करें। इस प्रकार की चर्चा में युवा बच्चों को भी शामिल करें। निर्णयों पर उनकी सहमति लें। बच्चों की सफलताओं से परिचित हो उनकी अपेक्षाओं को जानें। उनके भविष्य की कार्य-योजनाओं पर विचार करें। उनके कैरियर के बारे में सोचें। निकट संबंधियों के आए हुए पत्रों की चर्चा करें। इस प्रकार की चर्चा कर एक-दूसरे का विश्वास अर्जित करें। वास्तव में ये आधुनिक जीवन शैली के कुछ ऐसे पक्ष हैं, जिन्हें अपनाकर आप न केवल स्वयं तनावमुक्त होती हैं, बल्कि परिवार के सदस्यों का भी विश्वास अर्जित करती हैं, पति की निकटता प्राप्त करती हैं।

"पता नहीं दफ्तर में तुम कैसे अफ़सरी करते हो...यहां तुम किसी से बोलते ही नहीं...।" जैसी बातें पति से व्यंग्य रूप में न कहें।

पति-पत्नी को उसकी पारिवारिक जिम्मेदारियों का अहसास कराते समय एक-दूसरे की रुचियों, योग्यता और प्रतिभा को परखें। एक-दूसरे को परिवार का महत्त्वपूर्ण घटक मानें। एक-दूसरे में आस्था और निष्ठा व्यक्त करें। एक-दूसरे की व्यस्तता को स्नेहिल भाव से जोड़ें। व्यस्तता को एक-दूसरे के प्रति प्रतिशोधी भावनाओं से न जोड़ें।

इसे भी अवश्य पढ़ें- दिखावे में बिगड़ता बजट /Recipe for Happy Life/Secret of Happy Life Part-1

समाधान

1. पति-पत्नी की व्यस्तता को गुण के रूप में स्वीकारें। व्यस्तता के कारण एक-दूसरे को नीचा दिखाने की सोच मन में कभी न लाएं।

2. परस्पर विश्वास, समर्पण, समझ, सम्मान कुछ ऐसे रंग हैं, जो एक-दूसरे की व्यस्तता को आकर्षक बना सकते हैं। इसलिए पति-पत्नी की व्यस्तता को अपने इन रंगों से आकर्षक बनाएं। एक-दूसरे के विश्वास की प्रेरणा पाकर जहां पति-पत्नी की व्यस्तता कम होगी, वहीं वे एक-दूसरे के साथ जुड़ेंगे और व्यस्तता उन्हें अखरेगी नहीं।

3. एक-दूसरे की व्यस्तता को आक्रोश से नहीं विश्वास से कम करें। पति को यह सोचना चाहिए कि जिस पत्नी अथवा बच्चों के लिए वह सब कर रहा है, जब वही पत्नी और बच्चे उसके इस आचरण से प्रसन्न नहीं, तो फिर यह सब क्यों?

4. कहने का अभिप्राय यह है कि दांपत्य जीवन में व्यस्तता को अभिशाप न बनने दें, आपस में तनाव का कारण न बनने दें।

खुशहाल जीवन के रहस्य Part-3जीवन में धन की भूमिका /Recipe for Happy Life/Secret of Happy Life पढ़ने के लिए क्लिक करें। 




Post a Comment

0 Comments