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कम्फर्ट जोन कितना सुरक्षित है | How safe is the Comfort Zone?

कम्फर्ट जोन में रहना भला किसको अच्छा नहीं लगता है. लेकिन यही कंफर्ट जोन आपके विकास, आपके सफलता में बाधा बन जाती है। यही कंफर्ट जोन एक दिन आपकी जिंदगी को तहस नहस तक कर देती है।

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कहानी गिद्धों की 

एक बार गिद्धों का एक झुण्ड उड़ता-उड़ता समुद्र के बिच एक टापू पर जा पंहुचाता है । वह टापू समुद्र के बीचों-बीच स्थित था। वहाँ ढेर सारी मछलियाँ, मेंढक और समुद्री जीव मौजूद थे. इस प्रकार गिद्धों को वहाँ खाने-पीने को कोई कमी नहीं  महसूस हुई। वहां उन्हें सबसे अच्छी बात ये लगी कि उस टापू पर उन गिद्धों का शिकार करने वाला कोई भी जंगली जानवर मौजूद नहीं था।

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गिद्ध वहाँ बहुत प्रसन्न थे। क्योंकि इतना आराम का जीवन उन्होंने पहले कभी देखा ही नहीं था। उस झुण्ड में ज्यादातर गिद्ध बुल्कुल युवा थे, वे गिद्ध सोचने लगे कि अब जीवन भर इसी टापू पर रहना और आराम से बिना कुछ किये सब कुछ मिल जायेगा । यहाँ से कहीं नहीं जाना, क्योंकि इतना आरामदायक जीवन और कहीं नहीं मिलेगा। लेकिन उन सबके बीच में एक बूढ़ा गिद्ध भी था, वह जब युवा गिद्धों को देखता, तो चिंता में पड़ जाता। 

उस बूढ़े गिद्ध ने सोचा कि यहाँ के आरामदायक जीवन का इन युवा गिद्धों पर बहुत बुरा असर पड़ेगा. इस तरह से क्या ये अपने वास्तविक जीवन का अर्थ कभी समझ पाएंगे ? इस टापू पर इनके सामने किसी प्रकार की भी चुनौती नहीं है, जिससे उनके अंदर समस्याओ से लड़ने की क्षमता का विकास कभी होगा ही नहीं।  ऐसे में जब कभी मुसीबत इनके सामने आ गई, तो ये कैसे उसका मुकाबला करेंगे.? बहुत सोचने के बाद एक दिन बूढ़े गिद्ध ने सभी गिद्धों की एक दिन सभा बुलाई जिससे उन्हें समझा सके। 

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अपनी चिंता जताते हुए वह सबसे बोला साथियों आपकी जानकारी के लिए बता दें की इस टापू में रहते हुए हमें बहुत दिन हो गए हैं। मेरे विचार से अब हमें वापस उसी जंगल में चलना चाहिए, जहाँ से हम आये हैं। यहाँ हम बिना चुनौती का जीवन जी रहे है। ऐसे में हम कभी भी मुसीबत के लिए तैयार नहीं हो पाएंगे। युवा गिद्धों ने उसकी बात सुनकर भी अनसुनी कर दी। उन्हें लगा कि बढ़ती उम्र के असर से बूढ़ा गिद्ध सठिया गया है। इसलिए ऐसी बेकार की बातें कर रहा है। उन सभी युवा गिद्धों ने उस टापू की आराम की ज़िन्दगी को छोड़कर जाने से बिलकुल मना कर दिया।

बूढ़े गिद्ध ने उन्हें समझाने की कोशिश की, “तुम सब ध्यान नहीं दे रहे कि आराम के आदी हो जाने के कारण तुम लोग उड़ना तक भूल चुके हो। ऐसे में मुसीबत आई, तो क्या करोगे? मेरी बात मानो, मेरे साथ चलो। लेकिन किसी ने

बूढ़े गिद्ध की बात नहीं मानी। बूढ़ा गिद्ध अकेला ही वहाँ से चला गया। कुछ महीने बीते, एक दिन बूढ़े गिद्ध ने टापू पर गये गिद्धों की खोज-खबर लेने की सोची और उड़ता-उड़ता उस टापू पर पहुंचा।

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उस टापू पर जाकर उस बूढ़े गिद्ध ने देखा कि वहाँ का नज़ारा ही बिलकुल बदला हुआ था। जिधर देखो, उधर ही गिद्धों की लाशें पड़ी  दिखाई दे रही थी। ढेर सारे गिद्ध वहां लहू-लुहान और घायल पड़े हुए थे। हैरान बूढ़े गिद्ध ने एक घायल गिद्ध के पास जाकर उससे पूछा ये क्या हो गया और तुम लोगों की इस तरह की हालात कैसे और किसने की ? फिर उस घायल गिद्ध ने बताया की आपके जाने के बाद हम सभी इस टापू पर बहुत मज़े और आराम की ज़िन्दगी जी रहे थे। लेकिन एक दिन एक जहाज़ यहाँ आयाऔर उस जहाज से यहाँ पर चीते छोड़ दिए गए। शुरू में तो उन चीतों ने हमें कुछ नहीं किया। लेकिन कुछ दिनों बाद जब उन्हें महसूस हुआ कि हम सभी लोग उड़ना भूल चुके हैं और हमारे पंजे और नाखून  आराम और बिना प्रयोग के इतने कमज़ोर पड़ गए हैं कि हम तो किसी पर हमला भी नहीं कर सकते और न ही अपना बचाव कर सकते हैं, तो उन्होंने हमें एक-एक कर मारकर खाना शुरू कर दिया। उनके ही कारण हमारा ये हाल है। शायद आपकी बात न मानने का ये फल हमें मिला है।"

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दोस्तों अक्सर कम्फर्ट जोन में पहुंच जाने के बाद उससे बाहर आ पाना मुश्किल होता है। ऐसे में चुनौतियाँ आने पर उसका सामना कर पाना आसान नहीं होता। इसलिए कभी भी कम्फर्ट जोन में जाकर ख़ुश न हो जाएँ। ख़ुद को हमेशा

चुनौती देते रहे और मुसीबत के लिए तैयार रहें। जब तक आप चुनौती का सामना करते रहेंगे, आगे बढ़ते रहेंगे। जहां रुक गए आपकी सफलता में वही ब्रेक लग जाता है। 

बड़े बड़े success person भी तो जब तक कम्फर्ट जोन में बैठे रहे उनके सफलता में रुकावट बना रहा, वो खुल कर फ्रीडम के साथ काम नहीं कर पाए। लेकिन जैसे ही वे लोग अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकले उनकी सफलता की उड़ान रॉकेट की तरह तेज हो गई।

इसलिए आप भी कम्फर्ट जोन से बाहर निकलें और विकास के पथ पर आगे बढ़ें। शायद आपका कम्फर्ट जोन ही रुकावट बना हो। 

ना संघर्ष ना तकलीफ,

तो क्या मजा है जीने में

बड़े-बड़े तूफान थम जाते हैं

जब आग लगी हो सीने में!!

याद रखिए समय सीमित है लेकिन सफलता असीमित है। आपका संघर्ष आपकी कमजोरी को ताकत में बदल देता है।

Moral of story-

जितना बड़ा लक्ष्य होगा , चुनौतियाँ भी उतनी ही बड़ी होंगी। इसलिए हर चुनौतियों के लिए खुद को तैयार रखना बहुत जरुरी है।  जो लोग कम्फर्ट जोन में रहने के आदि हो जाते है  उनके अंदर चुनौतियों से लड़ने की क्षमता धीरे धीरे समाप्त हो जाती है इसलिए कम्फर्ट जोन से बाहर निकले और ज्यादा सफल बने। 

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