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शून्य से शिखर तक पहुँचने की कला (Motivation- Art of reaching from zero to peak)

Motivational quotes for success

"हर पतंग को एक दिन कचरे के डिब्बे में जाना होता है ,
लेकिन उससे पहले आसमान छू के दिखाना होता है।"

दोस्तों ऊपर के इस कथन की तरह से हम इंसानों को भी एक दिन इस दुनिया से अलविदा कह के चले जाना है।  हम भी इस दुनिया से एक दिन मर मिट जाएंगे। लेकिन इस दुनिया से जाने से पहले कुछ ऐसा काम कर जाओ की आपको यह दुनिया याद करे। एक सफल  (success) व्यक्ति बन कर जाओ।  जब इतिहास लिखा जाये तो लिखा जाना चाहिए की कुछ पागल लोगो की फौज ने इतिहास (History) रच दिया या देश की अर्थव्यवस्था (Economics) को ऊंचाई पर पहुंचा दिया । कुछ यादें अपनी सफलता या कारनामो की ऐसी छोड़ के जाओ, जिससे दुनिया आपको याद करे। अपने मन में ठान लीजिये की कुछ बड़ा करना है, इस जहां को छोड़ने से पहले ।  जैसे पतंग कचरे में जाने से पहले आसमान को छूती है। 

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आपको कुछ ऐसे भी लोग मिल जायेंगे जो आपसे कहेंगे कि क्या करना, सब दुनिया का मोह माया है।  क्या साथ ले के आये थे और क्या साथ ले के जाओगे? कुछ लोग तो ये भी कहेंगे की देखो हिटलर (Hitler), सम्राट अशोक (Great Asoka) और नेपोलियन (Nepolian) भी खली हाथ ही गए थे । ऐसा वही लोग कहेंगे जो वास्तव में कमजोर है  खुद कुछ नहीं कर पाते और आपको भी नहीं करने  देते है । क्या रतन टाटा (Ratan TATA) भी यही सोचते क्या साथ ले के आये थे और क्या साथ ले के जाओगे?, क्या बिल गेट्स (Bill Gates) या वारेन बफेट (Warren Buffet) आदि महान लोग भी यही सोचते? अगर सोचते तो क्या होता ? क्या ये लोग सिर्फ अपने लिए कमा रहे है? इन हस्तियों ने पता नहीं कितनी संपत्ति समाज सेवा के लिए दान दे दिए।  देश में आयी मुश्किलों में साथ दिया।  क्या इन्हे  सिर्फ अपने लिए इतने पैसों की जरुरत है ? नहीं।  लेकिन ये महान लोग अपनी क्षमता को पहचान गए और अपनी सफलता को पतंग की तरह अधिकतम उचाई पर ले जाते है। जिन्हे दुनिया हमेशा याद करेगी। नीचे लिखी यह लाइन ही बहुत कुछ कह देती है अगर आप ध्यान से समझे -

"फर्क ये नहीं पड़ता की आप कितने सफल है बल्कि फर्क ये पड़ता है 
आप जितने लायक थे क्या उतने सफल हुए की नहीं। "

उदाहरण के लिए आप के अंदर क्षमता थी 100 अंक लाने की लेकिन आप 50 अंक सिर्फ इसलिए लेकर आये और खुश है की अगला व्यक्ति तो सिर्फ 10 अंक ही ले के आया।  यहाँ आपके द्वारा बहुत बड़ी ग़लती की गयी। आपको  सर्वश्रेष्ठ तक पहुंचने की कोशिश करनी चाहिए। 

 इसे भी ज़रूर पढ़े-  सफलता की कुंजी। Key of success.

आपको एक बात जानकार हैरानी होगी की दुनिया की सभी जीव प्रजातियां अपने अधिकतम ऊंचाई पर पहुँचती है सिर्फ एक मनुष्य ही ऐसी प्रजाति है, जो अपने अधिकतम ऊचाई तक नहीं पहुंच पाती है।  बहुत कम ही लोग होते है जो इस आँकड़े को पार करते है। जो लोग अपनी अधिकतम क्षमता तक पहुंच जाते है, एक पहचान बना जाते है। 

अधिकतम क्षमता को इस तरह समझते है. जैसे की एक पेड़ उतना लम्बा होता है जितना हो सकता है, एक पेड़ उतने पत्ते टहनियों में लगा सकता है जितने वह पत्ते ऊगाने की क्षमता रखता है, एक पेड़ अपनी जड़ें जमीन के अंदर उतनी गहराई तक ले जाता है जितनी अंदर तक ले जा सकता है , एक पेड़ उतने फल देता है जितनी फल वो  दे सकता है।  लेकिन क्या आप को जितने ऊंचाई तक पहुंचना था, अपने अधिकतम सीमा तक पहुंच पा रहे है। जितना होना चाहिए  था क्या उतनी सफलता (success) हासिल किया है ?

याद रखिये बिना लक्ष्य (Goal) के कोई विकास (Growth) नहीं होता है और जिन लोगो का कोई लक्ष्य (Goal) नहीं होता, उनकी जिंदगी ही पूरी की पूरी गोल हो जाती है। आपके पास आज मौका है कुछ बड़ा सोचने (Think something big) का, कुछ बड़ा करने का (do something big)। जिस काम से मोहब्बत है, प्यार है उस काम को अपना लक्ष्य बनाइये, लेकिन लक्ष्य इतना बड़ा हो की आप अपने शिखर तक पहुंच जाये। ये ज़रुरी नहीं है सारा काम एक साथ ही करें।  छोटे छोटे लक्ष्यों को पूरा करते  हुए अपने अधिकतम शिखर पर ज़रूर पहुंचे। 

आप जो सोच सकते है वो कर सकते है, 
और अभी तक सोचा नहीं है उसे सोच सकते है। 

एक बाप अपने बेटे को बहुत गहराई से समझा रहा होता है।  वह अपने बेटे को उसके भविष्य के बारे में मोटिवेशन (Motivation) देता है की बेटा तू भले ही मोची बन जाना, लेकिन तुमसे बेहतर मोची तेरे शहर में नही होना चाहिए। बेटा तू भले ही बाल काटने वाला बन जाना, लेकिन तुमसे बेहतर बाल काटने वाला तेरे शहर में नही होना चाहिए। बेटा तू भले ही दर्जी बन जाना , लेकिन तुमसे बेहतर कपडा सिलने वाला तेरे शहर में नही होना चाहिए। तुम जिस भी प्रोफेशन (profession) को चुनो उसमे अपने अधिकतम उचाई (maximum peak) तक पहुँचो। तुम्हारे प्रोफ़ेशन की चर्चा होनी चाहिए। किसी के घर में  शादी पड़े तो सब यही कहे की उस दर्जी से बेहतर और कोई नहीं। किसी को बाल कटाना हो तो सबके जुबान पे तेरा ही नाम हो कि उससे बेहतर और कोई नहीं है। 

संदीप महेश्वरी जो की आज एक बहुत अच्छे मटीवेटर (motivator) है। मोटिवेटर तो बाद में अपनी सफलता के बाद बने पहले एक फोटोग्राफर थे। मैंने उनकी जीवनी पढ़ी जिसमे उन्होंने बताया है की जब वो photography करने के सोचा और अपनी खुद की एक स्टूडियो खोली तो उनके रिस्तेदार यही कहते थे की बेटा ये क्या काम कर रहे हो, कुछ अच्छा काम करते। लेकिन क्या आप जानते है, आज भारत की online फोटो कलेक्शन में उनकी वेबसाइट नम्बर एक पर है। आज उनके कंपनी में 4000 photographer की टीम है जो पुरे विश्व में फैले है। आज वही रिस्तेदार अपने बेटों को बोलते है कि तुम भी संदीप महेश्वरी की तरह photographer क्यों नहीं बन जाते हो। दोस्तों काम कोई छोटा या बड़ा नहीं होता है।  आप अपने उस काम को किस हद तक ले जा सकते हो ये सब आप पर निर्भर करता है। 


दोस्तों इसलिए हमेशा कोशिश करें कि अपने अधिकतम क्षमता तक पहुंचे और यह तभी संभव होगा जब सबसे पहले आप अपने लक्ष्य को निर्धारित (Goal setting) करेंगे। आपका लक्ष्य ही आपको शिखर तक ले के जाएगा। आशा करता हूँ  आपको ये पोस्ट ज़रूर आपके सफलता (Success) के लिए प्रेरित करेगा। कोई सुझाव हो तो जरूर कमेंट करें।  और अपने दोस्तों को भी भेजें। 




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3 Comments

  1. बहुत ही सुंदर और सटिक जानकारी।लेखक को बधाई।

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