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प्राणायाम जो आपकी जिंदगी बदल दे। Pranayam that change your life.


प्राणायाम जो आपकी जिंदगी बदल दे। Pranayam that change your life.

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प्राणायाम दो शब्दों के योग से बना है- प्राण+आयाम। इसका का शाब्दिक अर्थ है- 'प्राण (श्वसन) को लम्बा करना' या 'प्राण (जीवनीशक्ति) को लम्बा करना' प्राण या श्वास का आयाम या विस्तार ही प्राणायाम कहलाता है। प्राणायाम प्राण अर्थात् साँस आयाम याने दो साँसो मे दूरी बढ़ाना, श्वास की गति को नियंत्रण कर रोकने व निकालने की क्रिया को कहा जाता है। यह प्राण-शक्ति का प्रवाह कर व्यक्ति को जीवन मे शक्ति प्रदान करता है। श्वासों का संतुलित होना मनुष्य के प्राणों के संतुलन पर निर्भर करता है। प्राणों के संतुलित प्रवाह को ही प्राणायाम कहते हैं । प्राणायाम योग के आठ अंगों में से एक है। 

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यहाँ 7 ऐसे प्राणायाम के बारे वर्णन किया गया है, जिसे सभी लोगो को करना चाहिए। यदि ये सातों प्राणायाम आप नियमित और नियमानुसार करते है तो निश्चित रूप से आपके शरीर, मस्तिष्क और सोच में एक बहुत बड़ा परिवर्तन दिखाई देगा। रोग आपसे कोसो दूर चले जा चुके होंगे, हमेशा खुश रहने लगेंगे, मन में शांति रहेगी और आप तनाव मुक्त रहने लगेंगे। जिससे आपका पारिवारिक जीवन बहुत आनंदमय व्यतीत होने लगेगा। आप सभी कार्यों को भी बड़ी सजगता और अच्छी निष्ठा से पूर्ण कर पाएंगे। अगर आप कोई प्राणायाम या एक्सरसाइज करते है, तो नीचे लिखे कुछ बातो का जरूर ध्यान दे, नहीं तो फायदे के बजाय नुकसान हो जायेगा। 


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प्राणायाम करते समय सावधानियाँ – 

Precautions & Prohibitions in Pranayama

  • अगर आपने कोई लिक्विड पिया है, चाहे वह एक कप चाय ही क्यों ना हो, तो कम से कम २ घंटे बाद प्राणायाम करे और अगर आपने कोई सॉलिड (ठोस) सामान खाया हो, तो कम से कम 5 घंटे बाद प्राणायाम करे।
  • अगर पेट में बहुत गैस हो या हर्निया या अपेण्डिस्क का दर्द हो या आपने 6 महीने के अंदर पेट या हार्ट का ऑपरेशन करवाया हो तो प्राणायाम न करे।
  • प्राणायाम व योग को करने के कम से कम 7 मिनट बाद ही कोई हार्ड एक्सरसाइज (जैसे दौड़ना, जिम की कसरतें आदि) करनी चाहिए !
  • प्राणायाम करते समय रीढ़ की हड्डी एकदम सीधी रखे और चेहरे को ठीक सामने रखे
  • प्राणायाम करते समय हमारे शरीर में कहीं भी किसी प्रकार का तनाव नहीं होना चाहिए, यदि तनाव में प्राणायाम करेंगे तो उसका लाभ नहीं मिलेगा।
  • जिन लोगो को उच्च रक्त-चाप की शिकायत है, उन्हें अपना रक्त-चाप साधारण होने के बाद धीमी गति से प्राणायाम करना चाहिये।
  • साँसे लेते समय मन ही मन भगवान से प्रार्थना करनी है कि “हमारे शरीर के सारे रोग शरीर से बाहर निकाल दें और ब्रह्मांड की सारी ऊर्जा, ओज, तेजस्विता हमारे शरीर में डाल दें
  • प्राणायाम करने से पहले हमारा शरीर अन्दर से और बाहर से शुद्ध होना चाहिए।
  • बैठने के लिए भूमि पर आसन बिछाना चाहिए।
  • सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन किसी भी आसन में बैठें, जिसमें आप अधिक देर बैठ सकते हैं।
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प्राणायाम आरम्भ करने की विधि |

Pranayama Breathing Exercise

जब भी आप प्राणायाम करे, आप की रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए इसके लिए आप किसी भी ध्यानात्मक आसन में बैठ जाये, जैसे सिद्धासन, पझासन, सुखासन, वज्रासन आदि यदि आप किसी भी आसन में नहीं बैठ सकते तो कुर्सी पर भी सीधे बैठकर प्राणायाम कर सकते है । परन्तु रीढ़ की हड्डी को सदा सीधा रखे प्राणायाम प्रायः गायत्री मंत्र के उच्चारण के साथ किया जाना चाहिये।
 भूर्भुवः स्वः तत्स वितुर्वरेण्यम भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात। 



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प्राणायाम के प्रकार –

Types of Pranayama

1 -भस्त्रिका प्राणायाम Bhastrika pranayama in hindi

भस्त्रिका भस्त्र शब्द से निकला है जिसका अर्थ होता है ‘धौंकनी’. इस प्राणायाम में श्वास तेजी से लिया जाता है,सांस को रोकते हैं और बलपूर्वक छोड़ा जाता है। सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठें। वैसे तो यह प्राणायाम शरीर को स्वस्थ रखने के लिए काफी प्रभावी है, लेकिन ह्रदय रोगी, उच्च ब्लड प्रेशर एवं एसिडिटी में इसको करने से बचना चाहिए।


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भस्त्रिका प्राणायाम के लाभ | Bhastrika pranayama benefits

  • पेट की चर्बी कम करने के लिए कारगर 
  • वजन घटाने के लिए। 
  • अस्थमा के लिए लाभप्रद 
  • गले की सूजन कम करने में सहायक 
  • भूख बढ़ाने के लिए कारगर । 
  • शरीर में गर्मी बढ़ाने में मददगार 
  • श्वास समस्या दूर करने में मददगार 
  • हमारे फेफड़ों को सशक्त बनाने के लिये है।
  • मस्तिष्क से सम्बंधित सभी समस्याओ को ठीक करने के लिये भी यह लाभदायक है।

2- कपालभाति प्राणायाम। Kapalbhati pranayama in hindi

सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठें और साँस को बाहर फेकते समय पेट को अन्दर की तरफ धक्का देना है, इसमें सिर्फ साँस को छोड़ते रहना है। दो साँसों के बीच अपने आप साँस अन्दर चली जायेगी, जान-बूझ कर साँस को अन्दर नहीं लेना है। कपालभाति प्राणायाम धरती की सन्जीवनि कहलाता है। रोज कम से कम 5 मिनिट कपालभाति प्राणायाम करना ही है।


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कपालभाति के लाभ | kapalbhati pranayam benefits

  • बालों की सारी समस्याओँ का समाधान होता है।
  • चेहरे की झुरियाँ, आँखो के नीचे के डार्क सर्कल मिट जायेंगे
  • थायराइड की समस्या दूर होती है।
  • सभी प्रकार की चर्मरोग समस्या ठीक हो जाती है।
  • आँखों की सभी प्रकार की समस्याऐं ठीक हो जाती है और आँखो की रोशनी लौट आती है।
  • कपालभाति प्राणायाम से शरीर की बढ़ी चर्बी घटती है।
  • कब्ज, ऐसिडिटी, गैस्टि्क जैसी पेट की सभी समस्याएँ ठीक हो जाती हैं।
  • यूट्रस (महिलाओं) की सभी समस्याओँ का समाधान होता है।
  • डायबिटीज़ संपूर्णतय: ठीक हो जाता है।
  • कोलेस्ट्रोल को घटाने में भी सहायक है।
  • सभी प्रकार की ऐलर्जि ठीक हो जाती हैं।
  • सबसे खतरनाक कैन्सर रोग तक ठीक हो जाता है।
  • शरीर में स्वतः हीमोग्लोबिन तैयार होता है।
  • शरीर में स्वतः कैल्शियम तैयार होता है।
  • किडनी स्वतः स्वच्छ होती है, डायलेसिस करने की जरुरत नहीं पड़ती|

3- बाह्य प्राणायाम। Bahya pranayam in hindi

सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठें। साँस को पूरी तरह बाहर निकालने के बाद साँस बाहर ही रोके रखने के बाद निम्नानुसार तीन बन्ध लगाते हैं-

जालंधर बन्ध :- गले को पूरा सिकोड कर ठोडी को छाती से सटा कर रखना है।

उड़ड्यान बन्ध :- पेट को पूरी तरह अन्दर पीठ की तरफ खींचना है।

मूल बन्ध :- हमारी मल विसर्जन करने की जगह को पूरी तरह ऊपर की तरफ खींचना है।


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बाह्य प्राणायाम के लाभ्। Benifites of vahya pranayam in hindi

  • कब्ज, ऐसिडिटी, गैस जैसी पेट की सभी समस्याए ठीक हो जाती हैं।
  • हर्निया पूरी तरह ठीक हो जाता है।
  • धातु और पेशाब से संबंधित सभी समस्याएँ ठीक हो जाती हैं।
  • मन की एकाग्रता बढ़ती है।
  • संतान हीनता से छुटकारा मिलने में भी सहायक है।

4- अनुलोम-विलोम प्राणायाम । Anulom-Vilom Pranayam in Hindi

अनुलोम-विलोम को नाड़ीसोधन प्राणायाम भी कहा जाता है। सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठें। शुरुआत और अन्त हमेशां बाँये नथुना (नोस्टिरल) से ही करनी है नाक का दाँया नथुना बंद करें व बाँये से लंबी साँस लें, फिर बाँये को बंद करके, दाँये वाले से लंबी साँस छोडे़ं...अब दाँये से लंबी साँस लें और बाँयें वाले से छोडे़ं...यानि यह दाँया-दाँया बाँया-बाँया यह क्रम रखना । यह प्रक्रिया 10-15 मिनट तक दुहराएं साँस लेते समय अपना ध्यान दोंनों आँखों के बीच पर ध्यान एकत्रित करना चाहिए। इससे हमारी रोग-प्रतिरोधक शक्ति बढ़ जाती है।


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अनुलोम-विलोम प्राणायाम के लाभ Benefits of Anulom-Vilom Pranayam

  • हमारे शरीर की नाड़ी शुद्ध हो जाती है।
  • प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है। 
  • हार्ट की ब्लाकेज खुल जाते है।
  • हाई और लो दोंनों रक्त चाप ठीक हो जायेंगे
  • आर्थराटिस, रह्यूमेटोइड आर्थराइटिस, कार्टीलेज घिसना जैसी बीमारियाँ ठीक हो जाती है।
  • टेढे़ लिगामेंट्स सीधे हो जायेंगे
  • वैरीकोस वेन्स ठीक हो जाती हैं।
  • कोलेस्ट्रोल , टाँक्सिन्स, आँक्सीडैन्ट्स जैसे विजातीय पदार्थ शरीर के बाहर निकल जाते हैं।
  • किडनी प्राकृतिक रूप से स्वच्छ होती है|
  • कैंसर को ठीक करने में मदद करता है 
  • सभी प्रकार की ऐलर्जी ठीक हो जाती है।
  • याददास्त बढ़ाने के लिये मददगार 
  • सर्दी, खाँसी, नाक, गला ठीक हो जाता है।
  • ब्रेन ट्यूमर भी ठीक हो जाता है।
  • सभी प्रकार के चर्म रोग की समस्या ठीक हो जाती है।
  • मस्तिष्क सम्बधित सभी समस्याओं को ठीक करने के लिये।
  • सायनस की समस्या ठीक हो जाती है।
  • डायबीटीज़ पूरी तरह ठीक हो  जाती है।
  • टाँन्सिल्स की समस्या ठीक हो  जाती है।

5- भ्रामरी प्राणायाम । Bhramari Pranayam in hindi

सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठें। दोनो अंगूठों से कान पूरी तरह बन्द करके, दो उंगलिओं को माथे पर रख कर,  दोनों हांथों की छः उंगलियों को दोनो आँखो पर रख दे। और लंबी साँस लेते हुए कण्ठ से भवरें जैसा (……) आवाज निकालना है


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भ्रामरी प्राणायाम के लाभ Benefits of Bhramari Pranayam in hindi

  • पॉजिटिव एनर्जी तैयार करता है।
  • मायग्रेन पेन, डिप्रेशन ऑर मस्तिष्क के सम्बधित सभी समस्याओ को ठीक करने के लिये।
  • मन और मस्तिष्क की एकाग्रता बढाने के लिये।
  • श्वास तंत्र मज़बूत होता है। 
  • आवाज़ में सुरीलापन आता है। 

6- उज्जायी प्राणायाम। Ujjayi pranayama in hindi

सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठें। इस प्राणायाम में पूरक करते हुए गले को सिकोड़ते है और जब गले को सिकोड़कर श्वास अंदर भरते है, तब जैसे खराटे लेते समय गले से आवाज होती है, वैसे ही इसमे पूरक करते हुए कंठ से ध्वनि होती है। दोनों नासिकाओं से हवा अंदर खिंचीये कंठ को थोड़ा संकुचित करने से हवा का स्पर्श गले में अनुभव होगा हवा का घर्षण नाक में नहीं होना चाहिए । कंठ में घर्सण होने से ध्वनि उत्पन्न होगी 


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उज्जायी प्राणायाम के लाभ. benefits of Ujjayi pranayama in hindi

  • थायराँइड की शिकायत से आराम मिलता है।
  • तुतलाना, हकलाना ये शिकायत भी दूर होती है।
  • अनिद्रा, मानसिक तनाव भी कम करता है।
  • टी•बी•(क्षय) को मिटाने में मदद होती है।
  • गुंगे बच्चे भी बोलने लगेंगे|

7- शीतली प्राणायाम। Sheetli pranayama in hindi

ध्यानात्मक आसन में बैठकर हाथ घुटने पर रखे । जिव्हा को नालीनुमा मोड़कर मुँह खुला रखते हुए हुए मुँह से पूरक करें जिव्हा से धीरे धीरे श्वास लेकर फेफड़ो को पूरा भरे कुछ क्षण रोककर मुँह को बंद करके दोनों नासिकाओं से स्वांस बाहर करें । तत्पश्चात पुनः जिव्हा मोड़कर मुँह से स्वांस अंदर खीचें व नाक से स्वास बहार निकले  इस तरह 8 से 10 बार करें । शीतकाल में इसका अभ्यास कम करें 


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शीतली प्राणायाम लाभ |  Sheetli pranayama benefits

  • जिव्हा , मुँह व गले के रोगो में लाभप्रद है गुल्म, प्लीहा, ज्वर अजीर्ण आदि ठीक होते है |
  • उच्च रक्त्चाप को कम करता है | 
  • पित के रोगो में लाभप्रद है | 
  • रक्त्शोधन भी करता है |
  • शरीर को शीतलता प्रदान करता है। 

सारांश -

इसके अलावा भी योग में अनेक प्रकार के प्राणायामों का वर्णन मिलता है, जिनका यहाँ जिक्र करना बहुत ज्यादा हो जायेगा। यहाँ सिर्फ उन प्राणायामों का जिक्र किया गया है, जो एक सामान्य व्यक्ति के लिए पर्याप्त है। प्राणायाम को करते समय सावधानियां जो बताई गयी है उसे ध्यान से पढ़ना जरुरी है। सावधानी के साथ ही अच्छी तरह से प्राणायाम किया जायेगा तभी उसका भरपूर लाभ मिलेगा। गलत तरीके से किया गया प्राणायाम नुकसानदायक भी हो सकता है। आशा करता हु आपको ये जानकारी जरूर अच्छी लगी होगी। इस जानकारी को विश्वसनीय स्रोतों से इकठ्ठा किया गया है। 


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