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Tips to strong relation between Parents and Teenager in hindi


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Tips to strong relation between Parents and Teenager in hindi


Teenage यानि की 13 ले 19 वर्ष की अवस्था जो हम सभी  के जीवन में एक बार जरूर आती है, जिससे हम सभी भली भाती परिचित है।  इस उम्र के दौरान बच्चों के शरीर में कई सारे बदलाव होते है, जसमे हार्मोनल और शारीरिक बदलाव मुख्य है। इसी उम्र की अवस्था के दौरान ही बच्चों को अपना Carrier का भी चुनाव करना पड़ता है।  इन्ही सब बदलाव के कारण बच्चे इस उम्र में ज्यादा चिड़चिड़े और सम्बेदनशील  हो जाते है  छोटी छोटी बातो पर भी गुस्सा या चिढ़ने लगते है।  यही वो उम्र है जिसमे बच्चे गलत रास्ते पर भटकने भी लगते है। आज मै इसी teenage के बच्चों के परवरिश के बारे में बताने जा रहा हूँ।  जिसे सभी माता-पिता अपना कर अपने बच्चों के नज़दीक पहुंच कर सारी समस्याओं का हल निकाल सकते है और अपने बच्चों की अच्छी तरह से परवरिश कर सकते है। यदि आप अपने और बच्चे के बीच एक अच्छा सम्बन्ध बनाना चाहते है, तो पहले उनकी समस्याओं को समझने की कोशिश करे। जब बच्चे धीरे धीरे बड़े होते है तो ज्यादातर बच्चों की अंदर जो Problems दिखाई देते है | वो आप लोगो के साथ Share करना चाहता हूँ  |

बच्चों की मुख्य समस्याएं Teenager's Problems-

जब बच्चे धीरे धीरे बड़े होते है,तो ज्यादातर बच्चों की अंदर जो Problems दिखाई देते है। वे इस प्रकार से है। 

  • बहस करना  (Argument) 

जब बच्चा teenage की अवस्था में पहुँचता है या कह सकते है की जैसे जैसे आपका बच्चा बड़ा होता जाता है, वैसे वैसे बच्चा अपने घरवाले के साथ बहस करना शुरू करने लगता है। ऐसे समय में आप ज्यादा बच्चे के ऊपर गुस्सा या उनसे बहस न करे, बस उनकी प्रॉब्लम को समझिए। उनके अंदर बदलाव हो रहा है।  आप प्यार से ऐसे पल को हैंडल करे नहीं तो बच्चा आपसे दूर होता चला जायेगा। 

  •  हेकड़ी दिखाना ( Arrogance)


जब बच्चे छोटे थे तो माता-पिता की बातें अच्छे से सुन लिया करता थे।  लेकिन अब बच्चा धीरे धीरे अक्खड़पन दिखने लगा।  ठीक से अपने परिवार वालो से बात ही नहीं करता वह अब  Arrogant हो गया है | इस समय में भी आपको शालीनता से ही काम लेना चाहिए।  बच्चे को महसूस कराये की बेटा हम आपकी भलाई के लिए ही कर रहे है।  बच्चे के ऊपर गुस्सा या आप भी arrogant ना हो । 



  • गुस्सा या क्रोधित होना (Anger)

यह भी देखा गया है की बच्चा जैसे जैसे बड़ा होता जा रहा हे वैसे उसका गुस्सा भी बढ़ता जा रहा है।  घर में छोटी छोटी बातो पे गुस्सा दिखने लगता है। किसी भी प्रकार की बात हो बच्चे का गुस्सा सातवे आसमान पे चढ़ने लगता है। 

  • अकेलापन महशुस करना ( Feeling Loneliness )

बच्चा जब छोटा था  तब वह जैसे पढने के लिए पहले अपने मम्मी-पापा  के साथ Study करता था और मम्मी-पापा  की बात पढने ने के लिए सुना करता था धीरे धीरे जब बच्चा बड़ा होता हे वो अब धीरे धीरे अपने आपको मम्मी पापा से दूर करता जाता है | जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, वो अपने आप को Alone महसूस करता है |बच्चा Social  Function  में आना नहीं चाहता है।  मम्मी और पापा के साथ Study करने नहीं बैठता, बच्चा अपने आपको रूम में बंध रखता है। 

माता-पिता के लिये समाधान (Solution for Parents)


आपके बच्चे धीरे धीरे जैसे बड़े होते है, वैसे वैसे ये Problems भी बढते जाते है। अब आगे इन सभी Problem के Solution के बारे में बताने जा रहा हूँ । 

बच्चों की समस्याओं को स्वीकार करें (Accept your child's problems)

एक माता-पिता के रूप में हमें ये स्वीकार करना होगा की बच्चा अपनी मम्मी पापा को लेकर थोड़ा सा  Upset और Argument  कर सकता है | यह जरूरी नहीं की बच्चे अपने माता-पिता की हर सुझाव जो हमारे Opinion है उसे  वो Accept ही करे। उसमे कोई गलत बात नहीं है।  दुनिया के जितने भी Parents है उनके बच्चों के द्वारा उन्होंने सुना ही होगा की आप अच्छे मम्मी और अच्छे पापा नहीं हो और आप मुझे प्यार नहीं करते हो और बच्चा आप पर गुस्सा करता है ये स्वाभाविक है |

आपको मालूम होना चाहिए की परम पूज्य महात्मा गाँधी के बच्चों ने भी सायद उनको इतना Accept नहीं किया था | उनको भी लगा था की मेरे पापा के अंदर बहुत सारे Improvement की जरुरत है | बड़े से बड़ा व्यक्ति हो तब भी उनको अपने बच्चे से सुनना पड़ता ही है | इसलिए  आप पहले स्वीकार करे की बच्चे जब बड़े होते हे तो उनका खुद का Opinion होगा। उनके खुद की सोच होगी और वो हमारे सामने हमारे सुझाव पर  Argument या Anger हो सकते है | आप सबसे पहले ये बात Accept करे की बच्चे Teenage में ऐसा Behave करते ही है।  इसलिए आप को सबसे पहले टेंसन फ्री हो जाना चाहिए |

बच्चों के काम की सराहना करे   ( Appreciate The Work)

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जब बच्चे छोटे है तो उनके द्वारा कोई भी छोटा सा काम करते थे तो उनको Appreciation देते थे परन्तु जैसे बच्चे बड़े होते जाते है, वैसे देखा गया है की मम्मी पापा की तरफ से बच्चों को जो Appreciation मिलना चाहिए वो धीरे धीरे कम होता जाता है बच्चा जब पहेली बार चलता है , मम्मी या पापा बोलता है तब  उसको Appreciation मिलता है | धीरे धीरे बच्चा बड़ा होता है और उसके बाद बच्चों को धीरे धीरे Appreciation मिलना कम होता है | बच्चों को Appreciation कम मिलने  के कारण उसके अंदर चिड़चिड़ापन , गुस्सा और अकड़पन की भावना पैदा होने लगता है | इसलिए बच्चा अपने आप को अकेलापन महसूस करता है | आप एक याद रखे की बच्चा जैसे जैसे बड़ा होता है , उसके समस्याओं को साइड में करते हुए उसके अच्छे काम के लिए Appreciate करना चाहिए | इसे इस प्रकार से समझ सकते है की यदि आपका बेटा अपने exam में बहुत अच्छा marks लाता है तो उसे appreciation के बजाय ये कहे की बेटा तुमने इस साल पढ़ाई ठीक से नहीं की।  पता नहीं कैसे इतने मार्क्स आ गए या फिर ये कहे की सायद और पढ़ाई करते तो और अच्छा मार्क्स ले आते।  इस प्रकार कहने से  बच्चे के अंदर चिड़चिड़ापन , गुस्सा और अकड़पन की भावना पैदा होने लगता है 

ख़तरों के खिलाड़ी बनना (Adventure activity)


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बच्चे बड़े होते है, वैसे बच्चों को Adventure और Excitement  की जरुरत होती है | इसीलिए आपने देखा होगा की Teenage के बच्चों के हाथ में कार या मोटरसाइकिल आते ही बच्चे Full Speed से चलाने लगते है | बच्चे Racing करना चाहते है | ऐसी चीज़े जहां उनको Adventure महसूस हो वैसी चीज़ो के अंदर ध्यान ज्यादा जाता है | इसीलिए बच्चों को Action Movie और Action Games ज्यादा पसंद होते है। अपने बच्चों के नज़दीक होने के लिए आज के बाद हमें अपने Routine के अंदर क्या जोड़ना है ? वह है हम बच्चों के साथ थोड़ा Adventure वाली गतिविधियों में भाग ले | जैसे की जब  हम बच्चों को किसी Mall में या Amusement  Park के अंदर ले के जाये | बच्चों के साथ Badminton  खेलेRace लगाए और Boxing कर सकते है। वैसी चीज़े जिसमे बच्चे Adventure Feel करते हो, यदि हम उसके साथ ये सब नहीं करेंगे, तो वो चीज़े बच्चे अपने दोस्तों के साथ करेंगे। और वो गलत डायरेक्शन में भी जा सकते है  | 

दूसरों से सलाह दिलाये (Advice From Others) 

बच्चे जब बड़े हो जाते है उनके लिए मम्मी पापा घर की मुर्ग़ी दाल बराबर लगने लगते है | मम्मी पापा का महत्व धीरे धीरे कम हो जाती है, क्योंकि बच्चे ने बचपन से हमको उठते , बैठते , लड़ते , झगड़ते ,तू-तू में-में करते हुए देखा है | बच्चे को हमारी Advice की Value को नहीं अपनाते है। उन्हें हमारी बातें अच्छी नहीं लगती है। तो  फिर हमें क्या करना चाहिए? जब माहौल ऐसा हो जाये तो किसी दूसरे  के माध्यम से अपनी सलाह बच्चे तक पहुँचायें।  जब बच्चा बड़ा होता है , और आपकी बात सुनना कम कर देता है, तब ऐसे कोई व्यक्ति को ढूंढे, ऐसे कोई Uncle या Anti, भाई , दोस्त  कोई भी हो सकता है, जिसका प्रभाव आपके बच्चे पर ज्यादा हो , उनकी बातें मानते हो | उनके द्वारा यदि आप कोई सलाह दिलवायेंगे तो अवश्य ही आपका बच्चा उनकी बात ज़रूर मानेगा |

बच्चे के साथ दोस्त जैसा व्यवहार ( Behave like a friend )

आप माता-पिता अगर अपने teenager (13 से 19 साल) बच्चों के साथ रिश्ते को मजबूत बनाना चाहते है, तो सबसे पहले आपको उनपर विश्वास और भरोसा करना सीखें।  उनके साथ दोस्तों जैसा व्यवहार करे। जिससे वो आपसे कोई छोटी या बड़ी बात हो आपसे बिना झिझक के बात कर सके। क्योंकि आमतौर पर बच्चों की शिकायत होती है की उनके माता पिता उनपर विश्वास नहीं करते है।  और इसलिए वो रास्ते भटकने लगते है। 

आज से पहले ज्यादातर हम बच्चों को Suggestion or Advice देते थे| लेकिन जब बच्चा Teenage में आता है , उसके बाद उसके अंदर खुद का Ego Develop होता है | अगर हम दोस्ताना व्यवहार नहीं करेंगे तो अब हम उसको Advice देते है, तो बच्चा  हमारी बातें Accept  नहीं करता | बच्चा Argument  पर  जाता है और बच्चा हमारे ऊपर गुस्सा करना शुरू कर देता है |

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Tips to strong relation between Parents and Teenager in hindi

अधिकांश teenage के बच्चे अपने शारीरिक और मानसिक बदलाव के बारे में दोस्तों या इंटरनेट के माध्यम से पता करने की कोशिश करते है। अगर उस दौरान उनको सही जानकारी नहीं मिली तो वो गलत रास्ते पर चले जाते है।  इसलिए आप उनके साथ दोस्ताना व्यवहार रखे और समय समय पर उनके शरीर में होने वाले बदलाव की भी जानकरी देते रहे।  

पढ़ाई और अनुशासन (Carrier and Discipline) 


Teenage बच्चों के लिए पढ़ाई और कॅरिअर के लिए बहुत ज्यादा मायने रखता है।  इस दौरान कई माता-पिता अपने बच्चों को समझने के बजाय बहुत ज्यादा सकती से पढ़ाई  के लिए दबाव डालते है, जो की बिलकुल गलत तरीका है।  इस प्रकार से तो बच्चा आपसे डरने या नफ़रत करने लगेगा और वो आपसे दूर होने लगेगा।  बच्चे का मनोबल टूट जायेगा।  बच्चा को मानसिक रोग के कारण डिप्रेशन में जा सकता है। ऐसे सिचुएशन से बचने के लिए आप बच्चे को पहले प्यार से समझाए , उसे होने वाले प्रभाव के बारे में अवगत कराये। डाटने के बजाय कारण सहित समझाए। 

अगर आप teenager (13 से 19 साल) बच्चे के ऊपर निगरानी या उसके चाल-चलन पर नज़र रखना चाहते है तो आप मित्रों से भी जान पहचान बना के रखे।  कभी कभी उन्हें घर पे खाने पे बुलाये।  उनसे बीच बीच में मिलते रहे।  अगर आप दोस्तों से बिलकुल बच्चे को मिलने से मना कर देंगे तो ये बहुत गलत होगा।  बल्कि बच्चा और बिगड़ जायेगा जो आपको पता भी नहीं चलेगा।  इसलिए बच्चे के दोस्तों से मिलते रहे उन्हें समय समय पर सलाह भी देते रहे। 

आशा करते है आपको मेरा ये post भी पसंद आया होगा।  इन parenting tips को अपना कर आप अपने Teenage के बच्चे के साथ अपने Good relation बना सकते है और एक Good Parents बन सकते है।


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