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सफलता आपके कदम चूमेंगी Must Be Successful in hindi


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अवश्य सफल होंगे .  Must Be Successful in hindi


"बदल जाओ वक्त के साथ या फिर वक्त बदलना सीखो,
मजबूरियों को मत कोसो,हर हाल में चलना सीखो।"

जीवन में कभी हार मत मानो । कोई भी काम हो अगर आप पूरी ईमानदारी, लगन और आत्मविश्वास के साथ करते है, तो वह कार्य अवश्य ही पूर्ण कर पाएंगे। आपके अंदर उस कार्य को करने के लिए बस एक जुनून होना चाहिए । फिर देखिए चमत्कार, आप किसी भी कार्य को बिना हार माने पूरा कर सकते है। इस आर्टिकल (Article) में इसी से संबंधित एक कहानी बताता हूँ , जिससे आप और अच्छी तरह से समझ जाएंगे।

माह सितम्बर वर्ष 1921 में पैदा हुए पॉल स्मिथ को “स्पास्टिक सेरिब्रल पाल्सी (Spastic Cerebral Palsy)” नाम की एक बीमारी थी। जिसका मतलब है, बचपन से ही उनका अपने चेहरे पर, अपने अंगों पर, बोली पर नियंत्रण नहीं था। इसी वजह से वो खुद से नहाना, कपड़े पहनना, या खाना खाने जैसे काम भी नहीं कर सकते थे। वो खुद को ढंग से व्यक्त नहीं कर सकते थे, और वो स्कूल भी नहीं जा सकते थे। लेकिन पॉल स्मिथ जैसे लोग यह साबित करते है कि अगर मन में कुछ करने की इच्छा है, तो बड़ी से बड़ी समस्या आपको नहीं रोक सकती।

सफलता आपके कदम चूमेंगी   Must Be Successful in hindi

पॉल स्मिथ को पेन्टिंग करने का शौक था। और उन्हें इतनी समस्या के बावजूद भी कुछ नया करने का जुनून था। इसी हिम्मत और साहस के साथ उन्होंने शुरुआत कीटाइपराइटर पेंटिंग की। सोचों वो ढंग से टाइपराइटर की कुंजी (Key) भी नहीं दबा सकते थे। अपने बाएँ हाथ से अपने दाये हाथ को पकड़ के Key दबाते थे और करते थे टाइपराइटर पे पेंटिंग (painting) क्योंकि वो ज्यादा Key नहीं दबा सकते थे तो उन्होंने सिर्फ सरल keys का उपयोग करके पेंटिंग बनानी शुरू की। सिर्फ सरल keys उपयोग करके उन्होंने टाइपराइटर से ऐसी-ऐसी पेंटिंग्स बनाई की दुनिया हैरान रह गई। उन्होंने ऐसी 400 से भी ज्यादा पेन्टिंग्स बनाई सिर्फ टाइपराइटर की कुछ keys को उपयोग करके।


एक से बढ़कर एक पेंटिंग बना कर उन्होंने यह साबित किया कि विकलांगता सिर्फ दिमाग में होती है। उन्होंने अपने विकलांगता पर ध्यान देने की बजाय अपनी योग्यता के साथ अपनी एक पहचान (identity) बनाने पर ज़ोर दिया जिससे उन्होंने अपना एक नाम बनाया। स्मिथ जैसे ही कई और महान व्यक्तियों ने भी इस दुनिया में कई नए नए चमत्कार किए है।


जब जिंदगी में एक दरवाज़ा बंद होता है तो दूसरा दरवाज़ा ज़रुर खुलता है। लेकिन हममें से कुछ लोग उस बंद दरवाजे को देख के अफ़सोस करते रहते है। उस बंद दरवाजे को देख के परेशान होते रहते है। लेकिन कुछ लोग बंद दरवाजे को देखने के बजाय उस खुले हुए दरवाजे को देखते है और अपनी एक पहचान बनाते है।

पॉल स्मिथ से हम एक चीज ज़रुर सीखने को मिलती है कि अगर इन्सान ठान ले तो उसकी शक्ति  या जुनून के आगे बड़ी से बड़ी चुनौती भी आसान हो जाती है। उसकी शक्ति या जुनून के आगे बड़ी से बड़ी बीमारी भी कुछ नहीं कर सकती। इन्सान की शक्ति के आगे बड़ी से बड़ी समस्या भी छोटी हो जाती है।


"तो कुछ भी हो जाये ,कभी  भी हार मत मानो..!!"


"जो भी कार्य मिले या सामने आए उस पूरी जुनून और ईमानदारी से करो ,
कभी हार ना मानो वह कार्य ज़रूर पूरा होगा।

थॉमस अल्वा एडीसन

थॉमस अल्वा एडीसन को कौन नहीं जानता है। इन्होंने न सिर्फ इलेक्ट्रिक बल्ब का ही नहीं बल्कि फोनोग्राफ सहित कई महत्वपूर्ण चीजों का आविष्कार किया था। थॉमस अल्वा एडीसन का जन्म 11 फरवरी 1847 को अमेरिका में हुआ था। वे अपने माता-पिता की सातवीं और आखिरी संतान थे। एडीसन का जीवन भी गरीबी से गुजरा है। 

उन्हें गरीबी में जीवन व्यतीत करना पड़ा। इस दौरान एडिसन ने ट्रेनों में टॉफियां और अखबार बेचने पड़े थे। इन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा घर पर ही अपनी माता से प्राप्त की थी। जब वह 9 साल के थे तो उनकी मां ने रासायनिक प्रयोगों वाली एलिमेंट्री साइंस की एक किताब दी। उस किताब को देख कर एडिसन उसमें दिए गए सारे प्रयोग कर डाले। 10 साल की उम्र तक पहुंचने पर उन्होंने अपने घर के में ही एक छोटी सी साइंस लैबोरेटरी बना ली थी। बचपन से ही एडीसन को सुनाई कम देने लगा था। ट्रेन में अखबार और टॉफियां बेचने के दौरान एडीसन ने उसके पैंट्री कार में एक छोटी सी प्रयोगशाला बना ली थी और वहां पर प्रयोग करते थे।

एडीसन को स्टेशन पर टेलीग्राफी की पहली जॉब मिली। 1866 में एडीसन ने एसोसिएटेड प्रेस के ब्यूरो में भी काम किया। एडीसन ने वहां रात में काम करने का अनुरोध किया ताकि उन्हें पढ़ाई और प्रयोग के लिए कुछ समय मिल जाए। साल 1867 में एक रात ऑफिस में वह लेड-एसिड बैटरी के साथ काम कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने सल्फ्यूरिक एसिड (एक प्रकार का केमिकल) को फर्श पर फेंक दिया था, जो फर्श पर फैल गया। इस वजह से अगली सुबह एडीसन को वहां से निकाल दिया गया।

ऐसी ही तमाम मुश्किलों के बावजूद भी एडीसन ने अपना प्रयोग करना नहीं छोड़ा। और वर्ष 1869 में उन्होंने इलेक्ट्रिक वोट रिकॉर्डर का पेटेंट कराया। हालांकि, इससे एडीसन को कोई खास फायदा नहीं हुआ। इस कारण उन्होंने निर्णय लिया कि अब लोगों को जिस चीज की जरूरत होगी, वे उसी पर काम करेंगे। 

साल 1878 में एडीसन ने इलेक्ट्रिक बल्ब पर काम करना शुरू किया। हजारों बार फेल होने के बाद 1879 में कार्बन थ्रेड फिलामेंट विकसित करने में सफलता प्राप्त की। जिसके लिए उन्हें करीब 40 हजार डॉलर खर्च करने पड़े। एडीसन ने पहली बार 22 अक्टूबर 1879 को इस बल्ब को सफलतापूर्वक जलाने में सफलता हासिल की। एडीसन ने इसे और improve किया जिसका पेटेंट 27 जनवरी 1880 को किया गया। इलेक्ट्रिक बल्ब के आविष्कार के बाद एडीसन सारी दुनिया में famous हो गए। इससे उन्हें अच्छी आमदनी भी होने लगी थी। इलेक्ट्रिक बल्ब के बाद भी उन्होंने अपना प्रयोग जारी रखा। साल 1879 से 1900 के दरम्यान एडिसन अपनी सारी प्रमुख खोजें कर चुके थे और वह एक वैज्ञानिक के साथ-साथ एक अमीर व्यापारी भी बन चुके थे। 

देर ही सही पर सफलता तो अवश्य ही मिलेगी बस जरुरत है मैदान में डटे रहने की। हिम्मत न हारो बस मेहनत करते जाओ।  आज नहीं तो कल आप सफलता के द्वार पर पहुंच ही जायेंगे।

"संघर्ष में आदमी अकेला होता है,
सफलता में दुनिया उसके साथ होती है,
जब-जब जग उस पर हंसा है ,
उसी ने इतिहास रचा है।"

दोस्तों आशा करता हूँ कि ये आर्टिकल आपको ज़रूर पसंद आया होगा। ऊपर बताये गए महान व्यक्तियों की कहानियो से आपको ज़रूर फायदा होगा। आप इनसे प्रेरणा लेकर अपने जीवन में सफलता को हासिल कर सकते है।


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